बुलेटप्रूफ कांच

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By Suruchi ChircteyPublished On: August 11, 2021

पहले शीशे पत्थर से
चकनाचूर हो जाते थे
अब नही होते
बुलेट प्रूफ जो आ गए है।

शीशे के घरों में बैठे
लोग मजे से खेलते है
अब पत्थरो से
जब उनका दिल करता है
उछाल भी देते है।

वे नही घबराते
अब पथराव से
जनआक्रोश देख
वे भी आक्रोशित होते है।
और लेते है संकल्प
जन को निपटाने का
विजयी होने पर

बुलेटप्रूफ कांच
बचाव कर लेता है।
शरीर का
परंतु आत्मा को
मरने से नही बचा पाता
मृत आत्मवाले शरीर
उसके सुरक्षा घेरे
में सुरक्षित होते है।

बुलेटप्रूफ कांच
होते तो पारदर्शी है
परंतु उस पर चढ़ा दी
जाती है काली फ़िल्म
ताकि मृत आत्मा धारक
लोगो को न दिखे
परंतु उसे दिखते
रहे लोग
और शरीर इस निर्णय पर
पोहच सके
किसे पालना है
किसे निपटाना है ।

धैर्यशील येवले