कहो तो कह दूँ = मंत्री जी ने वो ही कहा, जो भगवान कृष्ण, अटल जी और राजेश खंन्ना ने कहा था

Author Picture
By Ayushi JainPublished On: April 19, 2021
chetanya bhatt

चैतन्य भट्ट

अपने प्रदेश के पशु पालन मंत्री ने जरा सी बात क्या कह दी सारे लोग लठ्ठ लेकर उन पर चढ़ बैठे l कांग्रेस ने तो ठाकुर साहेब से इस्तीफ़ा ही मांग लिया कुछ ने मामाजी से मांग करी कि पशुपालन मंत्री प्रेम सिंह ठाकुर को मंत्री मंडल से बर्खास्त कर दो, अब आप पूछोगे कि आख़िर मन्त्री जी के मुखारबिंद से ऐसा क्या निकल गया जो इतना बड़ा बबंडर खड़ा हो गया, दरअसल पत्रकारों ने ठाकुर साहेब से कोरोना से मरनेवालों के बारे में सवाल कर लिया अब ठाकुर साहेब ठहरे आध्यत्मिक आदमी, मोह माया से बिलकुल दूर , कह दिया अरे भाई लोगो “जिन लोगों की उम्र हो जाती हैं उन्हें मरना ही पड़ता हैं” बस क्या था लोग बाग़ दाना पानी लेकर चढ़ बैठे उन पर, अब इन लोगों को कौन बताये कि ठाकुर साहेब को “गीता” पर बड़ा यकीन हैl

महाभारत काल में जब अर्जुन मोह के वशीभूत होकर युद्ध लड़ने से इंकार करते हुए ये कहता हैं कि मैं अपने इन करीबियों की मृत्यु का जिम्मेदार क्यूँ बनूँ तब योगेश्वर कृष्ण उसे समझते हुए कहते हैं “जातस्य ही धुरुवो मृत्यु” यानि जिसका भी जन्म हुआ हैं उसकी मौत अवश्यम्भावी हैं ,शरीर का क्या हैं तुम तो आत्मा को देखो जो अजर अमर कहीं न नष्ट होने वाली चीज हैं, योगेश्वर ने अर्जुन को ये भी समझाया था कि “जीवन जितना बड़ा सत्य हैं उतना बड़ा सत्य मौत भी हैं”, चूंकि ठाकुर साहब बीजेपी के नेता हैं तो उन्हें अटल बिहारी बाजपेयी से भी प्रेरणा मिली होगी क्योकि अटल जी ने अपनी “इक्यावन कविताओं” के संग्रह में लिखा हैं “हे इश्वर मुझे इतनी शक्ति देना कि अंतिम दस्तक पर स्वयं उठकर कपाट खोलूं और मृत्यु का आलिंगन कर सकूं” अब जब मृत्यु के बारे में भगवान से लेकर इंसान तक साफ़ साफ़ बाते कह चुका हैं तो बेचारे अपने पशु पालन मंत्री जी ने ये बात कह कर क्या गुनाह कर दिया,

अपने जमाने के सुपर स्टार राजेश खन्ना ने भी आनंद फिल्म में ये बात कही थी “बाबू मोशाय जिंदगी और मौत तो ऊपरवाले के हाथ में हैं उसे न आप बदल सकते हैं न मैं, हम सब तो रंगमंच की कठपुतलियां हैं जिसकी डोर ऊपर वाले के हाथ में हैं कौन कब कंहा उठेगा ये कोई नहीं जानता, और तो और गीतकारों ने भी जीवन और मौत के बारे में क्या क्या नहीं लिखा हैं इंदीवर कहते हैं “जिंदगी का सफर हैं ये कैसा सफर कोई समझा नहीं कोई जाना नहीं” उधर मशहूर गीतकार शैलेन्द्र भी लिख चुके हैं “जीना यंहा मरना यंहा इसके सिवा जाना कंहा, अब मौत के बारे में जब इतनी सचाइयां सामने आ रही हैं तो ठाकुर साहेब की बात पर लोगों को बुरा नहीं मानना चाहिए और फिर वैसे भी नेताओं मंत्रियों से और उम्मीद भी क्या की जा सकती हैं वे बोलते पहले हैं और सोचते बाद में हैं इसलिए अपना तो लोगों से कहना हैं कि मंत्री जी की बात की गहराई पर जाओ, मनन करो, उसी में ज्ञान मिल पायेगा l

बेचारे दूल्हा और दुल्हन

पुरुष हो या स्त्री, जीवन में एक ही बार दूल्हा और दुल्हन बनते हैं, क्या क्या अरमान रहते हैं दोनों के मन में दोस्तों रिश्तेदारों को महीनों पहले से इन्तजार रहता हैं शादी में जाने काl “फूफा” को लेकर दोनों ही पक्ष बड़े ही चौकस रहते हैं कि कंही फ़ूफ़ा बुरा न मान जाये क्योकि फूफा के बारे में अक्सर यही कहा जाता हैं कि फूफा कब मुंह फुला लें कह नहीं सकते, बैंड बाजा, घोड़ी बघ्घी, साफा, शेरवानी दूल्हे के श्रृंगार होते हैं उधर दुल्हन हजारों रूपये के लंहगे सिलवा कर रखती हैं कि शादी में वरमाला के दौरान वो इसे ही पहन कर अपने होने वाले पति के गले में वरमाला डालेगी l दुल्हन की दसियों सहेलियां दो दिन पहले से दुल्हन के साथ शिफ्ट हो जाती हैं मेंहदी, हल्दी जैसी रस्में निभाई जाती हैं और फिर जिस दिन शादी होती हैं पचासों बाराती साफा पहन कर सड़कों को को जाम कर “नागिन डांस” करते हुए दुल्हन के दरवाजे पर आते हैं वीडिओ, फोटो और न जाने क्या क्या होता हैं, दूल्हा भी अपने सारे अरमान उस वक्त पूरा कर लेता है यदि घोड़ी में बैठा हैं तो तब एक नहीं उतरता जब तक “साला” उसे घोड़ी से नहीं उतारता यानी दूल्हे का ऐसा जलवा रहता है कि वो अपने आप घोड़ी से तक नहीं उतरता l

दुल्हन को वरमाला के लिए लेने के लिए उसकी सहेलियाँ कमरे में जाती हैं, दुल्हन भी एक एक कदम ऐसे नजाकत से उठाती है हैं जैसे उसने आज ही चलना सीखा हो, पर बुरा हो कोरोना का, दूल्हों और दुल्हनों के सारे के सारे अरमान धरे के धरे रह गए, सरकार ने साफ़ कह दिया कि अब वो ज़माने गए जब पचासों बाराती लेकर आते थे लड़के वाले, और लड़की वाले हजारों लोगो को निमन्त्रण देकर बुला लेते थे, अब तो पच्चीस लड़की वालो की तरफ से और पच्चीस लड़के वालो की तरफ से रहेंगे तभी शादी हो पाएगी और तो और पहले कलेक्टर साहेब से परमीशन लेना पड़ेगी कि हुजूर हमारी शादी हो रही हैं हमें परमिशन दे दो ताकि हम बंधन में बंध सकेंl कभी सोचा भी नंही था कि ऐसे दिन भी देखने मिलेंगे पर कहते हैं न वक्त जो न दिखाये कम हैं अपनी तो वर वधुओं को एक ही सलाह हैं चाहे दस हों, या बीस, येन केन प्रकरण शादी कर लो, फेरे करवालो इस कोरोना का कोई भरोसा नहीं हैं कब तक यंहा “स्टे” करेगा कह नहीं सकते l

सुपर हिट ऑफ़ द वीक

“ये कैसे पता चलता है कि ये आदमी या ये औरत शादी शुदा हैं” किसी ने श्रीमान जी से पूछाः

“देखो यार औरतें गहने इसलिए पहनती हैं ताकि पता लग जाये कि वो शादी शुदा हैं आदमियों का क्या ये तो उनके थोबड़े से ही पता चल जाता हैं” श्रीमान जी ने जवाब दिया