भारत में मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं पिछले कुछ वर्षों में तेजी से बढ़ी हैं, और विशेषज्ञों ने इस स्थिति पर गंभीर चिंता जताई है। महामारी, आर्थिक संकट, बढ़ते सामाजिक दबाव और कार्यस्थल की तनावपूर्ण स्थितियों के कारण मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं व्यापक रूप से फैल गई हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि मानसिक स्वास्थ्य के प्रति समाज की जागरूकता की कमी और चिकित्सा संसाधनों की असुविधा ने इस समस्या को और जटिल बना दिया है।
हाल ही में किए गए एक अध्ययन के अनुसार, देश में मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं से पीड़ित व्यक्तियों की संख्या दोगुनी हो गई है। विशेषकर युवाओं और कामकाजी लोगों में तनाव, चिंता, अवसाद, और आत्महत्या जैसे मामलों में वृद्धि देखी गई है। मानसिक स्वास्थ्य के क्षेत्र में काम करने वाले चिकित्सकों का कहना है कि समय पर मानसिक स्वास्थ्य सेवाएं न मिलने के कारण समस्याएं गंभीर रूप धारण कर रही हैं।
विशेषज्ञों की सलाह
विशेषज्ञों के अनुसार, मानसिक स्वा यूस्थ्य समस्याओं से निपटने के लिए सशक्त कदम उठाना अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने सरकार से मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं को प्राथमिकता देने, मानसिक स्वास्थ्य के बारे में जन जागरूकता अभियान चलाने और अधिक मानसिक स्वास्थ्य पेशेवरों की नियुक्ति करने की अपील की है। इसके अलावा, समाज को मानसिक स्वास्थ्य के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाने की जरूरत है, ताकि लोग आसानी से इलाज के लिए आगे आ सकें।