बिहार चुनाव में मोदी, नीतीश कुमार, तेजस्वी और चिराग सहित तमाम जाने-माने चेहरे मैदान में हैं, लेकिन इन सब के बीच एक और चेहरा भी चर्चा में है. ब्लैक जिंस-ब्लैक शर्ट और मुंह पर ब्लैक मास्क लगाए पुष्पम् प्रिया चौधरी भी अपनी बनाई पार्टी प्लुरल्स के साथ मैदान में है. खुद तो मुख्यमंत्री पद की उम्मीदवार है, वहीं सभी सीटों पर प्रत्याशी भी खड़े किए हैं. 8 मार्च को देश के सभी प्रमुख समाचार-पत्रों में पहले पेज पर एक विज्ञापन छपा, जिसमें लिखा था मैं बिहार बदलना चाहती हूं और इस बार बिहार की सीएम बनूंगी. किसी धमाकेदार फिल्मी एंट्री की तर्ज पर लंदन से पढ़कर लौटी पुष्पम् प्रिया चौधरी ने ताल ठोंकी है और बिहार के चुनाव में उनकी मौजूदगी कम मायने नहीं रखती. हालांकि चुनावी सफलता तो नहीं मिलेगी, मगर कम से कम घिसी-पिटी राजनीति और उसके जीर्ण-शीर्ण हो चुके चेहरों के बीच पुष्पम् प्रिया की एंट्री सुखद राजनीतिक बयार की मानिंद है. जिस तरह दिल्ली में केजरीवाल की आम आदमी पार्टी ने सत्ता हासिल की, उसी तर्ज पर प्लुरल्स पार्टी के भी दावे और वायदे हैं. खुद पुष्पम् प्रिया दो सीटों पर चुनाव लड़ रही है और प्रचार-प्रसार की कमान भी स्टार प्रचारक और पार्टी सर्वेसर्वा होने के नाते उनके कंधों पर है. पुष्पम का परिवार भी राजनीति से जुड़ा रहा है. पिता बिनोद कुमार चौधरी नीतीश की पार्टी जेडीयू के नेता और एमएलसी रहे हैं, तो चाचा भी जेडीयू नेता और दादा भी नीतीश के सहयोगी रहे हैं. सुबह से रात तक बिहार के शहरों-गांवों की खाक छान रही पुष्पम् प्रिया 30 साल से चल रहे विकास के लॉकडाउन को खत्म करने की बात कहते हुए अपना पूरा रोड मेप- योजनाएं मतदाताओं को बता रही है. प्लुरल्स पार्टी का निशान सफेद घोड़ा है, जिसमें पंख लगे हैं और पार्टी का नारा. जन-गण सबका शासन. अधिकांश युवा और पढ़ा-लिखा तबका पुष्पम् प्रिया को पसंद भी कर रहा है. ब्लैक ड्रेस उनकी पहचान बन गई और गाड़ी भी उनकी ब्लैक और नेल पॉलिश भी ब्लैक ही है. अब देखना यह है कि बिहार का कालापन उच्च शिक्षित पुष्पम् प्रिया कितना दूर कर पाती है. फ़िलहाल तो देश की भद्दी और दागदार राजनीति में पुष्पम् प्रिया जैसे नए चेहरों की ही वाकई आवश्यकता है. इस हौसले और जज़्बे को सलाम किया जाना चाहिए.
@ राजेश ज्वेल