मनाचे स्मृति पुस्तक के अनावरण समारोह संपन्न

Akanksha
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समाज को दिशा देने तथा  दैनंदनी की समस्याओं का व्यावहारिक समाधान देने के लिए मराठी गुरु रामदास स्वामी के द्वारा प्रतिपादित ‘मनाचे श्लोक’ आज भी प्रासंगिक माने जाते हैंl  मिनल फड़नीस द्वारा अनुवादित रामदास स्वामी के श्लोको पर मराठी पुस्तक “मनाचे श्लोक (अर्थासहित)” का विमोचन  सुमित्रा महाजन, पूर्व लोकसभा अध्यक्ष के द्वारा समर्थ मठ, रामबाग में गुरुवार को किया गया l 

इस अवसर पर मीनल फडनिस ने कहा कि कई बार ऐसा लगा कि रामदास स्वामी ने हमारे बीच श्लोकों के माध्यम से जो राह दिखाई है वो सरल भाषा में जनता के बीच उपलब्ध होना चाहिएl उन्होंने कहा कि सुधीर किडे ने रामदास स्वामी के श्लोकों को बड़ी संजीदगी और  सलीके से संकलित करा  जिसने मुझे इस कार्य के लिए प्रेरित करा l मीनल फडनिस ने कहा कि अपने मन को किस तरह नियंत्रित कर सकते हैं, क्या क्या करना और क्या नहीं करना चाहिए ये इन श्लोकों में पहले से ही उपलब्ध है और हमें कहीं और जाने की आवश्यकता ही नहीं हैl उन्होंने मनाचे स्मृति के एक श्लोक के बारे में बताते हुए कहा कि जिन्हे स्वरूपबोध हुआ हैं उनकी सेवा करे जिन्होंने जान लिया उनकी चरणसेवा करे गुरु की कृपा से ही स्वरूपबोध होगा अहंकारवश स्वरुप समझ न पाओगे l 

 मीनल फडनिस ने कहा कि भारतीय संत ही हैं जिन्होंने दुनिया को हर क्षेत्र में राह दिखाई है और हमें आज की इस उहापोह की जिंदगी में इन संतों के द्वारा प्रतिपादित ग्रंथों का अनुसरण करना ही चाहिए l उन्होंने लीगल बुक  हाउस के राजकुमार सहगल का भी धन्यवाद दिया जिन्होंने इस पुस्तक का निःशुल्क प्रकाशन किया l 

लोकार्पण समारोह की मुख्य अतिथि लोकसभा की पूर्व अध्यक्षा सुमित्रा महाजन ने कहा कि  सारी समस्याओं का एक ही हल है अध्यात्म l हमारे पौराणिक ग्रंथो,  गुरुवरों के द्वारा प्रतिपादित श्लोंकों में जो सिद्धांत बताये गए हैं वो आज भी प्रासंगिक हैं l यदि शारीरिक, मानसिक और आर्थिक क्षेत्रों में आध्यात्म का समावेश कर लिया जाये और अपना दृष्टिकोण सर्वथा आध्यात्मिक कर लिया जाये तो समस्या कितनी भी बड़ी हो, हमारे पौराणिक ग्रन्थ ही हमें सभी समस्याओं और दुविधाओ का समाधान देते चले जायेंगे l इस तरह हमारी आध्यात्मिक और भौतिक प्रगति साथ साथ होती चली जाएगी l उन्होंने कहा कि  विषयों में सर्वथा भौतिक दृष्टिकोण रखने से ही सारी समस्याओं का सूत्रपात होता है l दृष्टिकोण  में वांछित  परिवर्तन लाते ही सब काम बनने लगेंगे l सुमित्रा महाजन ने कहा कि मीनल फडनिस ने मनाचे स्मृति श्लोंकों का संकलन कर उनका सरल मराठी भाषा में अनुवाद करने का जो पवित्र कार्य किया है वो आने वाली पीढ़ी को दैनन्दिनी के कार्यों हेतु सरल भाषा में मार्गदर्शक का कार्य करता रहेगा l उन्होंने कहा कि युवाओं को आज इन्ही पौराणिक ग्रंथों का अध्ययन करने की आवश्यकता है ताकि उनकी संतुलित उन्नति होती रहेl  उन्होंने कहा कि समाज पुनः भारतीय संस्कृति और सिद्धांतों की तरफ आये इसके लिए मीनल फडनिस जैसे समाजसेवकों की बहुत आवश्यकता है l व्यक्ति स्वयं के लिए तो हमेशा प्रयास करता है लेकिन समाज सुधार के लिए की इस तरह के प्रयासों की वर्तमान में अत्यंत आवश्यकता है और मीनल फडनिस ने समाज के समक्ष जो एक उदाहरण प्रस्तुत किया है वह सर्वथा अनुकरणीय है और समाज उनके प्रति हमेशा कृतज्ञ रहेगा l 


कार्यक्रम का संचालन पूर्व पार्षद अर्चना चितले ने करा। इस अवसर पर समर्थ मठ के अध्यक्ष अशोक पाटणकर, सीए मनोज फडनिस, सीए विक्रम गुप्ते, सीए संतोष देशमुख, सीए शैलेन्द्र सिंह सोलंकी, सीए एस. एन. गोयल, सीए अभय शर्मा सहित बड़ी संख्या में श्रोता उपस्थित थे l इस कार्यक्रम को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के द्वारा भी प्रसारित किया गया जिसमे इंदौर, मुंबई, पूना, बैंगलोर सहित कई शहरों के सैकड़ों दर्शको ने वर्चुअल उपस्थिति दर्ज की