उज्जैन : बारह ज्योर्तिलिंगों में से एक भूत भावन भगवान महाकालेश्वर मंदिर को कतिपयों ने कमाई का जरिया बना लिया है। इसके उदाहरण कई बार उस वक्त सामने आए है जब मंदिर प्रशासन के अधिकारियों ने मौके पर ही कतिपय पंडे पुजारियों या उनके प्रतिनिधियों को बाहर से आने वाले श्रद्धालुआंे से रूपए लेने के मामले में पकड़ा है। हाल ही में कुछ दिन पहले भी मंदिर प्रशासक गणेश धाकड़ ने एक पुरोहित प्रतिनिधि को निलंबित किया था।
उक्त प्रतिनिधि द्वारा बाहर से आने वाले श्रद्धालु को सौ रूपए की रसीद ढाई सौ रूपए में दी थी। इसकी जानकारी लगने के बाद मंदिर प्रशासक ने संबंधित पुजारी प्रतिनिधि तिलक व्यास को निलंबित कर दिया। जिस तरह से रूपये लेकर दर्शन कराने के मामले महाकाल मंदिर में दिन प्रतिदिन बढ़ते जा रहे है उससे तो यही प्रतीत होता है कि कतिपय दलालों के साथ ही मंदिर के ही पुजारी या उनके प्रतिनिधियों ने मंदिर को कमाई का जरिया बना लिया है।
भगवान महाकाल ऐसे लोगों को निश्चित ही कभी माफ नहीं करेंगे और ऐसे लोगों को किसी न किसी रूप से सजा जरूर मिलती है लेकिन मंदिर में आकर लूटाए जाने वाले श्रद्धालुओं के मामले में जिला प्रशासन के साथ ही मंदिर प्रशासन के अधिकारियों को ओरअधिक सख्ती बरतना होगा। संभवतः तभी यह हो सकेगा कि मंदिर में दर्शन कराने के नाम पर रूपये लेने वालेकतिपयों पर रोक लग सकेगी।
कतिपय पुजारियों व उनके प्रतिनिधियों द्वारा बाहर से आने वाले श्रद्धालुओं को दर्शन कराने के लिए अंदर ले जाया जाता है तथा जानकारी नहीं होने के कारण श्रद्धालुओं से आसानी से दर्शन कराने के नाम पर रूपयों की वसूली की जाती है। बाद में जब मंदिर प्रशासन को पता चलता है तो संबंधित पुजारी या उनके प्रतिनिधि को नोटिस देकर इतिश्री कर ली जाती है या फिर निलंबन के आदेश दे दिए जाते है।