जनता का पारा सांतवे आसमान पर है,
पीआर इंवेट बंद कर पाँव-पाँव बन जाइये मामाजी
पुष्पेन्द्र वैद्य
शिवराज जी,
मुझे याद है उज्जैन सिंहस्थ में जब आँधी तुफान से ७ लोगो की मौत हो गई थी तो आप अपनी शादी की सालगिरह छोड़कर ७०० किमी दूर आधी रात उज्जैन आ पंहुचे थे। मैंने रिपोर्टिंग भी की थी। कुंभ को तबाही से उबारने के लिए आप खुद एक पांडाल को दुरुस्त करने सीढ़ियों पर चढ़ गए थे। खूब तस्वीरें के क्लिक हुई थी। हमारे चैनल पर भी प्राथमिकता पर यह खबर बुलवा कर ज़ोर-शोर से चलायी गई थी। हम रिपोर्टर्स कई बार आपकी बातें भी किया करते थे। ये सीएम नहीं पाँव-पाँव वाले मामाजी है।
आप चौथी बार सूबे के मुखिया बने है। इस बार आपकी सबसे कठीन परीक्षा है। या यूँ कहें कि अग्निपरी़क्षा। कोविड महामारी जिस गति से मध्यप्रदेश पर अपना शिकंजा कस रही है वह आने वाले वक्त के लिए एक बड़ा अलॉर्म है। पहले आप लॉकडाउन को सिरे से खारीज करते हैं। फिर आप एक दिन लॉकडाउन लगाते हैं और फिर उसी फ़ैसले से खुद असहमति जताते हैं। दो दिन बाद आप अपने सिपहसलार नौकरशाहों से मशविरा कर इसे नया नाम देते हैं- कोरोना कर्फ्यू । लंबी चौड़ी नई गाइड लाइन आती है।
ऑक्सीजन के लिए आप एक के बाद एक कई ट्वीट करते हैं और फिर उनमें बडे-बडे दावे करते है। दावों की हक़ीक़त कुछ तो होगी ही। लोकिन ये क्या- “ऑक्सिजन की सप्लाई बाधित हो सकती है। कमी के चलते आक्सिजन कभी भी ख़त्म हो सकती है। ऐसे में भर्ती मरीज के साथ कुछ भी हो सकता है। इसकी जवाबदारी अस्पताल की नहीं होगी। ऐसा अंडरटेकींग लिखवाना तो शर्मसार कर देने वाला है। प्रदेश के लिए इससे लज्जाजनक बात और क्या हो सकती है। हमारे पत्रकार साथी पवन देवलिया जी ने बक़ायदा सोशल मीडिया में अंडरटेकींग की कॉपी भी पोस्ट की है।
पत्रकार देवलिया जी ने ही यह भी ख़ुलासा किया कि आज भोपाल में ५४ कोविड मरीज़ों की मौत हुई। किस श्मशान घाट पर कितने अंतिम संस्कार हुए यह भी जानकारी साझा की गई। लेकिन आपका जनसंपर्क विभाग महज ५ मौतें ही आधिकारिक तौर पर बता रहा है। यह ज़मीन आसमान के फ़र्क़ वाले आँकड़े क्यों शिवराज जी..?
हर जिले में हाहाकार मचा हुआ है। अस्पताल भरे पड़े है, ऑक्सिजन का भारी टोटा है, रेमडिसिविर इंजेक्शन के लिए हल्ला हुआ। आपने उसकी आपूर्ति की कोशिशें भी करना बताई, लेकिन कई लोग आज भी मारे-मारे इस दवाई की तलाश में घुम रहे है। अब कई डॉक्टर इस दवाई की उपयोगिता को ही जरुरी नही बता रहे। मतलब साफ़ है इन डॉक्टर्स के जरिए यह बताने की कोशिश की जा रही है कि यह दवाई जीवन रक्षक नहीं है। तो फिर क्यों हर कोविड मरीज को ठीक करने के लिए यही दवा दी जा रही है। दो दिन से दमोह भी ट्रोल हो रहा है।
चलिए मान लिया कि दमोह में उपचुनाव की वजह से वहां लॉकडाउन का फ़ैसआपका नहीं चुनाव आयोग का है लेकिन आपकी सफ़ाई आज दो आपकी सफ़ाई दो दिन बाद क्यों…. आपके पास तो कई सारी शॉर्ट आईएएस खोपड़ियाँ है। शिवराज जी, कोविड को हर बार की तरह पब्लिसिटी स्टंट बनाम इवेंट मत बनाइये। वक्त कठीन है। खुद पीपीई कीट पहनकर उतरिये। ज़रूरतमंदों के आंसूओं को महसूस किजिए।
आपने कई निष्क्रिय मंत्रियों को भी आज कई जिलों का प्रभार देकर व्यवस्था संभालने का ज़िम्मा सौंपा है लेकिन ज़्यादातर मंत्री यक़ीनन इसे कोविड टूरिज़्म क़रार देंगे। मंत्रियों को आपके निर्देश की जरुरत पड़े बिना ही अब तक मैदान संभाल लेना चाहिए था। कई मंत्रियों के तो तो लापता या गुमशुदा के पोस्टर टंगे हुए थे। शिवराज जी, अपनी कथित पाँव-पाँव वाले मामाजी की छबि को वाक़ई बरक़रार रखना है तो इस अग्निपरीक्षा में सफलहोना ही पडेगा।
आपका
पुष्पेन्द्र वैद्य
आम नागरिक, मध्यप्रदेश