जानें, शनि देव और राहु-केतु का कुंभ स्नान से क्या है कनेक्शन

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हरिद्वार में 2020 से ही कुंभ की तैयारी की जा रही हैं। क्योंकि 14 जनवरी 2021 से कुंभ मेले का आयोजन शुरू हो जाएगा। हरिद्वार में मां गंगा के किनारे श्रद्धा से लाखों सिर झुकते हैं। कुंभ मेले की तैयारियां अंतिम चरण में पहुंच चुकी है। इस वर्ष 11वें साल बाद ये कुंभ पड़ रहा है। हालांकि ये कुंभ अक्सर 12 साल में आयोजित होता है।

लेकिन साल 2022 में गुरु, कुंभ राशि में नहीं होंगे जिसकी वजह से इसे 11 वें साल में ही आयोजित किया जाएगा। जानकारी के अनुसार, 14 जनवरी 2021 से कुंभ मेले का आयोजन हरसिद्धि में होने जा रहा है। बता दे, आस्था और आध्यात्म का यह विश्व का सबसे बड़ा जमघट है जिसे कुंभ मेले के नाम से जाना जाता है। आज हम आपको कुंभ स्नान के बारे में बताने जा रहे है तो चलिए जानते हैं।

हिन्दू शास्त्रों में बताया गया है कि कुंभ में सभी देवी-देवता प्रवासी के रूप में निवास करते हैं। ऐसे में सबसे श्रेष्ट प्रयाग के कुंभ को माना जाता है। इसी वजह से प्रयाग को तीर्थराज कहा गया है। मान्यता है कि कुंभ में स्नान करने से सभी प्रकार के पापों से मुक्ति मिल जाती है। इसलिए कुंभ को सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण बताया गया है।

बता दे, जिन लोगों पर शनि की साढ़ेसाती और शनि की ढैय्या चल रही है उन लोगों को कुंभ स्नान करने से लाभ मिलता है। इसके अलावा जो लोग शनि देव की अशुभता से पीड़ित हैं उन्हें भी शुभ तिथि में विधि पूर्वक स्नान करना चाहिए। वहीं मिथुन, तुला राशि पर शनि की ढैय्या और धनु, मकर और कुंभ राशि पर शनि की साढे़साती चल रही है।

इनके अलावा जिन लोगों को राहु- केतु से संबंधित परेशानियां बनी हुई हैं, उन्हें भी कुंभ स्नान करने से लाभ मिलता है। जानकारी के अनुसार, कुंभ में गुरु, सूर्य और चंद्रमा ग्रह का विशेष महत्व माना गया है। जिसकी वजह से कुंभ में इन ग्रहों को महत्वपूर्ण भूमिका होती है। बता दे, जिन लोगों के जीवन में गुरु, सूर्य और चंद्रमा से जुड़ी कोई समस्या बनी हुई है वे यदि कुंभ में शुभ तिथियों में स्नान करते हैं तो उनकी समस्याएं दूर होती हैं।