छतरपुर से खजुराहो की ओर फोर लेन रास्ते पर करीब पंद्रह किलोमीटर चलने पर ही बायें हाथ पर एक रास्ता कटता है। जो गढा गांव की ओर जाता है। रास्ते पर लगे बोर्ड और होर्डिग्स से ही अंदाजा हो जाता है कि ये रास्ता आम नहीं है। वैसे भी इन दिनों देश भर में चर्चित और मीडिया चैनलों में धूमधाम से नानस्टाप चलने वाले बागेश्वर धाम की ओर जाने वाला रास्ता सामान्य कैसे हो सकता है। चौराहे पर खडे ई रिक्शा और टेंपों दस से बीस रूपये में बागेश्वर धाम सरकार की ओर ले जाने के लिये हांका लगाते रहते हैं। उन रिक्शों में बैठते ही शुरू हो जाता है वो खास जगह की ओर जाने वाला रास्ता जो सामान्य सा भी नहीं है। इस उंचे नीचे उबड खाबड गढढों से भरे रस्ते पर दो किलोमीटर बाद शुरू होता है गढा गांव जहां इन दिनों श्रद्वालु और दुखियारों का डेरा है।
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इन तीन जगहों के आस पास बेरिकेड लगायी गयी है और दिलचस्प ये है मंदिर से दूरी बनाने के लिये लगायी गयीं बैरिकेड पर ही काले लाल और पीले रंग की पोटलियां बंधी हुयीं है। इन पोटलियों में अलग अलग फरमाइशें या श्रद्धालुओं की मन्नतें हैं। काले में प्रेत बाधा से मुक्ति तो पीले में शादी ब्याह की मन्नत तो लाल में सामान्य कामकाज करवाने की दरखास्त। हमने पूछा ये क्या है तो बताया गया कि ये अर्जियां हैं। झारखंड की गुमला जिले से आया शैलेंद्र सिहं का परिवार लाल कपडे में नारियल बांधकर बैरिकेड से बांध रहा था। पूछा ये क्यां और क्या कर रहे हो तो मुस्कुराते हुये कहा कि बालाजी महाराज के दरबार मे अर्जी लगा रहे हैं, कुछ मांगा है, हमने पूछा किसने कहा ऐसा करने तो बताया सब कर रहे हैं तो हम भी कर रहे हैं। भरोसा है जो मांगा वो मिलेगा। हां इतने लोगों को मिला है तो हमें भी मिलेगा। किसी ऐसे को जानते हो जिसे ये बांधने से कुछ मिला है तो मुस्कुराकर रह गये।
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शुरूआती दिनों की छोटी मोटी पुरोहिताई के बाद धीरेंद्र रामकथा करने लगे। कुछ आस पास के गांवों में कथा की जिसमें जितना मिलता रख लेते थे। मगर कुछ कथित सिद्वियों के चलते उनकी लोगों की बतायी बातें सच होने लगी तो उनका दरबार बडा होता गया। रही सही कसर कोरोना काल और सोशल मीडिया के प्रचार ने पूरी कर दी। लोगों ने घर बैठे खूब कथा सुनी, लाइव प्रसारण देखा और यू टयूब पर धीरेंद्र महाराज को देखा सुना। बस फिर क्या था महाराज की ठेठ बुंदेली बोली, उनका लडकपन, बोलचाल की अदा अपने बालाजी पर अटूट भरोसे ने ही उनको पिछले दो सालों में ही भारी लोकप्रिय कर दिया। हर मंगलवार ओर शनिवार को गढा गांव में मेला लगता है। धीरेंद्र शास्त्री की राम कथा की अगले दो साल तक की भरपूर बुकिंग है। एक टीवी चैनल उनकी कथाओं का निर्बाध प्रसारण करता है और मीडिया उनकी बाइट और इंटरव्यू के लिये लालायित रहता है। उनसे जुडा कोई भी वीडियो आसानी से लाख दो लाख देख लिया जाता है।
बडबोले धीरेंद्र शास्त्री मानते हैं कि वो जो करते है चमत्कार नहीं बस कृपा हनुमान जी महाराज की। हम आप इस कृपा पाखंड ढोंग कुछ भी नाम दे लें मगर इस बात से इनकार नहीं कर सकते कि धीरेंद्र शास़्त्री की लोकप्रियता इन दिनों चरम पर है। कितने दिनों तक कोई नहीं जानता मगर तेजी से लोकप्रिय होने वाले और बाद में गुमनामी में खोने वाले अनेक बाबा बैरागियों महाराज सरकारों के नाम हम आप सब जानते हैं।