दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघचालक मोहन भागवत को एक पत्र लिखकर कई महत्वपूर्ण सवाल उठाए हैं। इस पत्र में केजरीवाल ने खासतौर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और आरएसएस के नीति-नियामक दृष्टिकोण पर प्रकाश डाला है।
केजरीवाल ने पत्र में एक अहम सवाल पूछा है कि लालकृष्ण आडवाणी को 75 साल की उम्र में रिटायरमेंट का जो नियम दिखाया गया, वह प्रधानमंत्री मोदी पर क्यों नहीं लागू होता। इस प्रश्न के माध्यम से केजरीवाल ने यह जानने की कोशिश की है कि क्या यह नियम मोदी के लिए अलग है या सभी नेताओं पर समान रूप से लागू होता है।
इसके अलावा, केजरीवाल ने जून 2023 में मोदी द्वारा लगाए गए 70 हजार करोड़ के घोटाले के आरोप पर भी चर्चा की। उन्होंने पूछा कि जब मोदी ने इस नेता पर आरोप लगाया, तो फिर क्यों वह उसके साथ सरकार बनाने को राजी हो गए। क्या यह स्थिति आरएसएस के लिए चिंता का विषय नहीं है?
केजरीवाल ने एक अन्य सवाल में आरएसएस से पूछा कि क्या वह इस बात को स्वीकार करता है कि सत्ता हासिल करने के लिए ईडी और सीबीआई का इस्तेमाल किया जाता है। इस सवाल ने भारतीय नागरिकों के मन में उठ रहे संशय को और स्पष्ट किया है कि क्या सत्ता की राजनीति में इस तरह के उपकरणों का उपयोग उचित है।
जमानत मिलने के बाद, केजरीवाल ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है और अब वह नई भूमिका में नजर आ रहे हैं। उनकी योजना है कि वह देश भर का दौरा कर अपनी पार्टी को मजबूत करने की कोशिश करेंगे। इस बीच, आतिशी को दिल्ली की मुख्यमंत्री की जिम्मेदारी सौंपी गई है, जो कि 11 साल बाद राज्य की पहली महिला मुख्यमंत्री हैं। इससे दिल्ली में महिलाओं का राज स्थापित होने की संभावना जताई जा रही है।
इस पत्र और केजरीवाल की नई भूमिका ने बीजेपी के लिए एक नई चुनौती पेश की है, जो उनके सिरदर्द को बढ़ा सकती है। अब सबकी निगाहें इस बात पर हैं कि मोहन भागवत केजरीवाल के सवालों का क्या जवाब देंगे।