विपिन नीमा
इंदौर। कल तक भाजपा कर्नाटक में बजरंगबली क़े नाम का सहारा लेकर सरकार बनाने का सपना देख रही थी, लेकिन सुबह होते ही बजरंगीबली का ऐसा सोठा घुमा की भाजपा चारों कोने चित हो गई। इस हार से भाजपा की चिंता और बढ़ गई है। यही नहीं कर्नाटक के परिणाम से मप्र में भाजपा के लिए खतरे की घंटी भी बज गई है। अब भाजपा के लिए लाडली बहना योजना से काम नही चलेगा , क्योंकि अब उसे चिंता, चिंतन, मंथन और मनन करने की सख्त आवश्यकता है। उधर बुरे दौर से गुजर रही कांग्रेस में इस जीत से काफी बल के साथ उत्साह, विश्वास में भी बढ़ोत्तरी हुई है। अब भाजपा की चौकड़ी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा, प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा और संगठन मंत्री हितानंद शर्मा पऱ बयानबाजी में माहिर कांग्रेस की जुगलबंदी कमलनाथ और दिग्विजयसिंह के हमले और तेज हो जाएंगे। कुछ भी हो कर्नाटक के परिणाम ने मप्र के विधानसभा चुनाव को और दिलचस्प कर दिया है।
बुजुर्ग नेताओं को तबब्जो नहीं दी तो महंगा पड़ सकता है पार्टी को
कर्नाटक में बुरी तरह हुई परास्त के बाद भाजपा अपनी पराजय का मुख्य खोज रही है। जानकारो का मानना है की चुनाव के दौरान भाजपा ने अपने वरिष्ठ नेताओं की जमकर उपेक्षा ली थी। पार्टी की इसी बात से नाराज़ होकर उपमुख्यमंत्री कई वरिष्ठ नेता पार्टी छोड़कर कांग्रेस में चले गए। यही स्थिति मप्र में बनी हुई है। प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कैलाश जोशी के पुत्र दीपक जोशी ने हाल ही में भाजपा छोड़कर कांग्रेस में शामिल सबको पार्टी को हिला दिया। इसी प्रकार पार्टी के वरिष्ठ नेता सत्यनारायण सत्तन गुरु , भवरसिंह शेखावत समेत कई वरिष्ठ पार्टी में पूछपरख कम होने की वजह से संगठन से नाराज़ ही नहीं ही बल्कि इन वरिष्ठों ने पार्टी के खिलाफ मोर्चा भी खोल रखा है। चुनाव से पहले सरकार और संगठन ने इस मुद्दे को सुलझाया नहीं तो मप्र में भी भाजपा का यही हाल होगा जो आज कर्नाटक में हुआ ही।
क्या भाजपा यहाँ भी चुनाव में बजरंगबली का मुद्दा बनाएंगी
कर्नाटक विधनसभा चुनाव के प्रचार के दौरान बजरंगबली का मुद्दा खासा छाया रहा। चुनाव प्रचार के दौरान भाजपा ने बजरंगबली के नाम का जमकर उपयोग किया। भाजपा को क्या पता था कि बजरंगबली का मुद्दा उल्टा पड़ जाएगा। कर्नाटक चुनाव से सबक लेकर इसी साल मप्र में होने वाले विधानसभा चुनाव में भाजपा हनुमान जी के नाम पर प्रचार करने से दूर रहेगी। अटक में हनुमान जी ने अपना रंग दिखाते हुए भाजपा को सबक सिखा दिया।
लाडली बहना योजना से थोड़ा बाहर निकलना पड़ेगा भाजपा को
इस समय मध्य प्रदेश में भाजपा लाडली बहना योजना और कांग्रेस नारी सम्मान योजना के माध्यम से दोनों पार्टियां मध्यप्रदेश की लगभग पौने तीन करोड़ महिलाओं को रिझाने में का काम में जुटी हुई है, लेकिन कर्नाटक के चुनाव परिणाम ने भाजपा को चिंता में डाल दिया जबकि कांग्रेस को ताकत दे दी। कांग्रेस के दो दिग्गज नेता प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ और पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह की जोड़ी भाजपा की चौकड़ी को टक्कर देने में पीछे नहीं हट रहे हैं। कर्नाटक के चुनाव परिणाम को देखते हुए भाजपा को लाडली बहना योजना से थोड़ा बाहर निकलना पड़ेगा ।