इंदौर : मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि महानायक डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने आजादी के पहले और आजादी के तुरंत बाद देश के सामने आने वाली चुनौतियां के संबंध में बड़ी भूमिका का निर्वहन किया। बंग-भंग योजना की विभीषिका का आंकलन और जम्मू कश्मीर की चुनौती को समय रहते भांप लेना डॉ. मुखर्जी जैसे महापुरुष के लिए ही संभव था। वे 33 वर्ष की आयु में कोलकाता विश्वविद्यालय के कुलपति बने, तत्पश्चात मंत्री पद ग्रहण करना उनकी मेधा का परिचायक है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने भारतीय जनसंघ के संस्थापक डॉ. मुखर्जी के बलिदान दिवस पर भोपाल में उनकी प्रतिमा पर पुष्पांजलि व माल्यार्पण करने के बाद अपने संबोधन में यह बात कही।
डॉ. मुखर्जी के जीवन के वीर पक्षों को सामने लाना हम सबकी जिम्मेदारी
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि डॉ. मुखर्जी ने जम्मू कश्मीर की ओर पूरे देश का ध्यान आकर्षित कराने के उद्देश्य से मंत्री पद से इस्तीफा दिया, उन्होंने कोलकाता में उद्घोष किया कि जम्मू कश्मीर के लिए मुझ से जो बन पड़ेगा वह करूंगा और उन्होंने जो कहा वह करके दिखाया। डॉ. मुखर्जी ने देश के सामने विद्यमान भविष्य की बड़ी चुनौती की तरफ सबका ध्यान आकर्षित किया। उनके जीवन के वीर पक्षों को सामने लाना हम सब की जिम्मेदारी है। डॉ. यादव ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा जम्मू कश्मीर में धारा 370 हटाना सच्चे अर्थों में डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी को श्रद्धांजलि है हम सब प्रधानमंत्री श्री मोदी के आभारी हैं।