ये संयोग है या प्रयोग…प्रजातंत्र को लग गया वोट बैंक की राजनीति का रोग

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प्रखर वाणी
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मोदीजी ने संसद में हिंदुओं को भी आगाह कर दिया…उनके आचरण से होने वाली भावी हानि पर वाह वाह कर दिया…हिंसक हिन्दू के जवाब में वो बोल उठे चुनाव परिणाम पर…अपने बेहतरीन प्रदर्शन के बाद भी उनको मिले हार के इनाम पर…उन्होंने कहा बताओ हिन्दुओं ये संयोग है या प्रयोग…प्रजातंत्र को अब लग गया है वोट बैंक की राजनीति का रोग…राजनीतिक पंडितों के सारे गणित फेल हो गए…

परिणाम आये तो पता चला चार सौ पार के विरुद्ध खेल हो गए…हिन्दुओं से जो चिंतन मांगा मोदी जी ने वो विचारणीय है…उनकी वाकपटुता और अंदाज़े बयां अनुकरणीय है…बिना क्रोध के उन्होंने चिंता को सहजता में जाहिर कर दिया…उनकी शैली की इसी अदा ने उनको बोलने में माहिर कर दिया…मोदीजी ने जब कहा कि यदि ये प्रयोग है तो परिवर्तन का इरादा था…

इसमें तथाकथित बुद्धिजीवी वर्ग के हिंदुओं का बुझामन ज्यादा था…और यदि ये संयोग था तो हिन्दुओं के आलस्य पर उनकी सक्रियता भारी पड़ गई…इंडी संगठन की रणनीति अलग अलग जगह अलग अलग तरीके से चुनाव लड़ गई…प्रयोग करके जो मोदी को हटाना चाहते थे वे सिर्फ पश्चाताप करेंगे…अब जो भोगेंगे उसके परिणाम का आकलन कर संताप करेंगे या विलाप करेंगे…इसको संयोग कहें तो मान लीजिए ये संयोग नैराश्य को निरुद्देश्य का श्रृंगार कर दुल्हन बना रहा है…

देश के सारे हिन्दुओं को मिली बेवजह पराजय की विडम्बना सजा रहा है…शेर जो जंगल में स्वतंत्र रहकर भ्रमण कर रहा था और व्यवस्थाओं के सुधार हेतु गमन कर रहा था…उस शेर को पिंजरेनुमा अंकुश में बांधकर रख दिया जैसे वो जनता का दमन कर रहा था…राष्ट्रवादी सोच पर कट्टरता भारी पड़ गई…चोर चोर मौसेरे भाइयों से पुलिस जबरन लड़ गई…

हार का आकलन तो ताउम्र चलता रहेगा…करारी शिकस्त को कौन मूक रहकर सहेगा…मोदीजी ने निन्यानवें के फेर की बात भी जोरदार कही…कांग्रेस की सीट सौ में से नहीं पांच सौ तिरयालिस में से निन्यानवें रही…विरोधी पक्ष के पास भी सांख्यबल होने से अब विरोध और हंगामा उनका हथियार हो गया…संसद को चलने से रोकने – काटने का वॉक आउट औजार बन गया…प्रजातंत्र में बहुमत का मंत्र कार्य की स्वायत्तता हेतु जरूरी है…किनारे पर आकर अटक गए बस यही मोदीजी की मजबूरी है ।