युवाओं में डिप्रेशन का खतरा बढ़ रहा है। विशेषज्ञों के अनुसार, यह समस्या आजकल के युवाओं में गंभीर रूप से बढ़ चुकी है। आजकल हर कोई व्यक्ति अपनी लाइफ में बड़े बड़े बदलाव करता हुआ नजर आ रहा है। नींद पूरी न होने से एंग्जाइटी-डिप्रेशन का खतरा बढ़ जाता है। पिछले 6 सालों में ये समस्या बढ़ी है। 2012 के बाद से मेंटल हेल्थ पर जोर देने वाले सभी संकेतों को युवाओं ने आसानी से नजरअंदाज कर दिया है। एंग्जाइटी और डिप्रेशन के कारण आत्महत्या के मामले भी बढ़े हैं। इसके कई कारण हो सकते है :
दिनचर्या का असमयिक: बढ़ती हुई दिनचर्या, बिना नियमितता के आहार, और नींद की कमी युवाओं में डिप्रेशन के आसपासी कारण हो सकते हैं।
सोशल मीडिया का प्रभाव: सोशल मीडिया का अत्यधिक उपयोग और तुलनात्मक तस्वीरों की अधिकता के कारण, युवाओं में दूसरों के साथ तुलना की भावना और आत्मसंकोच में कमी हो सकती है, जो डिप्रेशन को बढ़ावा देता है।
प्रेशर और संघर्ष: शैक्षिक प्रेशर, करियर के संघर्ष, और परिवार में समस्याएँ भी युवाओं को डिप्रेशन की ओर धकेल सकती हैं।
आवश्यकता से अधिक तंतुओं की आवश्यकता: युवाओं को समाज में अधिक सफल और परिपूर्ण दिखने की आवश्यकता का दबाव बढ़ा रहा है, जिसके परिणामस्वरूप वे अधिक स्ट्रेस में आ सकते हैं।
सोशल इजोलेशन: कई युवा लोग आजकल सोशल इजोलेशन का सामना कर रहे हैं, जो उनके मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकता है।
उपाय:
यदि आप डिप्रेशन के खतरे में हैं, तो आपको एक विशेषज्ञ चिकित्सक से मानसिक स्वास्थ्य की जांच करवानी चाहिए।
सही आहार, नियमित व्यायाम, और नींद की खास देखभाल बचाव में मदद कर सकते हैं।
सोशल मीडिया का सावधानीपूर्ण उपयोग करें और तुलनात्मक तस्वीरों के प्रति सजग रहें।
समाज में दबाव का सामना करने पर बातचीत करें और सहायता लें, यदि आवश्यक हो।
युवाओं के मानसिक स्वास्थ्य की देखभाल हम सभी की जिम्मेदारी है, और इसे सामजिक समरसता की दिशा में बढ़ावा देने के लिए साझा करना होगा।