हाल के दिनों में जम्मू-कश्मीर में बढ़ती घुसपैठ और आतंकी हमलों के मद्देनज़र, भारतीय सेना ने बॉर्डर पर सुरक्षा मजबूत करने के लिए एक नई रणनीति अपनाई है। सेना ने तीन लेयर की व्यूह रचना तैयार की है, जिससे घुसपैठ की कोशिशों को नाकाम किया जा सके। इस योजना के तहत हर स्तर पर सुरक्षा को कड़ा किया गया है।
पहली लेयर: लाइन ऑफ कंट्रोल (LoC) पर सुरक्षा सख्त
भारत-पाकिस्तान सीमा पर स्थित जम्मू और कश्मीर के कई हिस्सों में सेना ने अपनी निगरानी बढ़ा दी है। विशेष रूप से गुरेज से उरी और पुंज से अखनूर तक के क्षेत्रों में लाइन ऑफ कंट्रोल (LoC) पर फिजिकल और टेक्निकल सर्विलांस को बढ़ाया गया है। यहां के लिए सेना ने विशेष कदम उठाए हैं, जैसे:
- एंटी इंफिल्ट्रेशन बिड: यह कदम घुसपैठियों के प्रवेश को रोकने के लिए लिया गया है।
- सुरक्षा उपकरणों की तैनाती: वाहन तारबंदी, हाई डेफिनेशन कैमरे, ड्रोन, नाइट विजन डिवाइसेज़, और रिमोटली ऑपरेटेड व्हीकल्स जैसे आधुनिक उपकरणों को लगाया गया है।
- सुरंग और गुफाओं में निगरानी: बॉर्डर पर स्थित गुफाओं की मैपिंग की जा रही है और इन क्षेत्रों में माइन्स और एक्सप्लोसिव लगाए गए हैं।
- गांवों की मैपिंग: बॉर्डर के पास स्थित गांवों में किसी भी संदिग्ध व्यक्ति की पहचान करने के लिए गांवों की मैपिंग की जा रही है। इसके साथ ही, बीडीसी (ब्लॉक डेवलपमेंट कमेटी) को सशक्त किया जा रहा है।
दूसरी लेयर: रिसेप्शन एरिया में कड़ी निगरानी
रिसेप्शन एरिया वह स्थान होता है, जहां आतंकी घुसपैठ के बाद ओवर ग्राउंड वर्कर्स से मिलते हैं। इस क्षेत्र की निगरानी और भी कड़ी कर दी गई है।
- CRPF की तैनाती: इस क्षेत्र में सीआरपीएफ की टुकड़ियों को और भी अधिक तैनात किया गया है, जो किसी भी संदिग्ध गतिविधि पर कड़ी नजर रखती हैं।
- विशेष कैमरे: सुरक्षा बढ़ाने के लिए यहां विशेष तरह के कैमरे लगाए गए हैं, जिन्हें देख पाना बहुत मुश्किल होता है।
तीसरी लेयर: हिंटरलैंड में सुरक्षा बढ़ी
हिंटरलैंड, यानी वह क्षेत्र जो घुसपैठ के बाद आतंकियों के छिपने के लिए इस्तेमाल किया जाता है, यहां भी सुरक्षा कड़ी की गई है। यह क्षेत्र आबादी वाला होने के कारण आतंकियों के छिपने और अपने ओवरग्राउंड वर्कर्स से संपर्क करने का मुख्य केंद्र बनता है।
- सादी वर्दी में तैनाती: इस क्षेत्र में आतंकियों की पहचान करने के लिए सादी वर्दी में तैनाती की गई है ताकि उनका पता लगाया जा सके।
- सर्विलांस पर ध्यान: पहले की तुलना में अब ज्यादा सख्त निगरानी रखी जा रही है। आतंकियों द्वारा पेड एप्लिकेशन का उपयोग किया जा रहा था, जिसके माध्यम से वे अपने ओवरग्राउंड वर्कर्स से संपर्क करते थे। अब इन एप्लिकेशनों के जरिए की जाने वाली कम्युनिकेशन को ट्रैक करना मुश्किल हो गया है। इसके बावजूद, डोर टू डोर निगरानी की जा रही है।