इंदौर। शहर के लालबाग में 11 फरवरी से 19 फरवरी तक आदिवासी जनजीवन पर आधारित जनजातीय मेले का आयोजन भारत सरकार द्वार किया गया है, जिसमें आदिवासी कला, उपयोगी जड़ी बूटियां, रंग बिरंगी साड़ियां, हेल्थी प्रोडक्ट, स्वादिष्ट व्यंजन, पेंटिंग्स, कालीन, और अन्य चीजें देश के कोने कोने से प्रदर्शनी में शामिल है। सुबह 10 बजे से रात के 10 बजे तक चलने वाले इस मेले में लोगों की भीड़ बढ़ती जा रही है। मेले में बच्चों के लिए झूले से लेकर कई प्रकार के गेम्स भी है।
जड़ी बूटियों का भंडार है मेले में
जनजातीय मेले में पचमढ़ी, विदिशा, झाबुआ और अन्य जगहों से वैध पहाड़ों और जंगलों से नायाब जड़ी बूटियां लेकर इस मेले में आए है, जो शुगर, दमा, चर्म रोग, जोड़ो घुटनो में दर्द, महिलाओं में डिलीवरी के बाद पेट पर पड़े निशान, खर्राटे की दवा, मोटापा कम करने की दवा और अन्य प्रकार की जड़ी बूटियों से बनी दवाइयां लेकर आए है।
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महेश्वर, राजस्थान की साडिया, लखनऊ की कालीन
जनजातीय मेले में महिलाओं के लिए महेश्वर की बाग प्रिंट साड़ी से लेकर अन्य प्रकार की साड़ियां मेले में लाई गई है। साथ ही मेले में लाई गई साड़ियों में ज्यादातर हैंडमैड है। इसी के साथ मेले में लखनऊ और देश के राज्यों से मनमोहक कालीन लाई गई है जो कि मेला घूमने आए लोगों का ध्यान आकर्षित कर रही है।
आदिवासी कला बांस और जड़ों से बनी कलाकृतियां
इस मेले में आदिवासियों द्वारा बांस, लकड़ी और पेड़ की जड़ों से बने फूलदान, सोफा सेट, लैंप लाइट, पक्षी, डेकोरेशन के अन्य आइटम लाए गए है, इस आर्ट की खासियत यह है कि यह सब हैंडमेड है, और इस एक आर्ट को तैयार करने में इन्हें लगभग 3 से 4 दिन का समय लगता है। इसी के साथ आदिवासी कला के गुड्डे गुड़ियां और अन्य चीजें शामिल है मेले में.
स्वादिष्ट व्यंजन के लगे है ठिए
जनजातीय मेले में आने वाले लोगों के लिए कई प्रकार के स्वादिष्ट व्यंजन के ठिए लगे है, इनमें कई प्रकार के स्वादिष्ट व्यंजन परोसे जा रहे है, वहीं आदिवासियों द्वारा तैयार उनका फूड मका के बाफले और स्पेशल सब्जी लोगों के बीच आकर्षण का केंद्र बनी है। इसी के साथ मेले में कई प्रकार के अचार और खाने की रेसिपी लेकर स्टॉल लगाए गए हैं।
मका की राबड़ी और बेयर का सूप लब्दो तैयार किया स्टूडेंट ने
डीएवीवी के एसजेएमसी के स्टूडेंट मक्का राबड़ी लेकर आए है, छाछ, पानी, मक्के की थूली को पकाकर तैयार किया जाता है, इसके बाद स्वादानुसार नमक और चीनी डालते है। राजस्थान के कई इलाकों में इसे खाया जाता है, इसी के साथ डीएवीवी के स्टूडेंट बेयर यानी बोर से बना सूप लब्दो लेकर आए हैं। जनजातीय मेले में लाया गया यह सूप जनजातीय फूड है, जो कि गूढ़, नमक, लाल मिर्च, जीरा पावडर, कला नमक और अन्य चीजों से तैयार किया है। इसे गरम सर्व किया जाता है।यह स्किन हेयर और अन्य चीजों के लिए फायदेमंद रहता है।