इंदौर(Indore News): जल संसाधन मंत्री तुलसीराम सिलावट आज रायसेन जिले में पहुंचे। यहाँ उन्होंने बाड़ी स्थित बारना डेम का निरीक्षण किया। अपने भ्रमण के दौरान सिलावट ने विभागीय अधिकारियों की बैठक भी ली। बैठक में उन्होंने विभागीय जल संरचनाओं के तहत बनी नहरों के लगातार निगरानी रखने और आवश्यक होने पर मरम्मत करने के निर्देश भी दिये। सिलावट ने अधिकारियों से कहा कि वे किसानों और जनप्रतिनिधियों से नियमित संवाद रखें, इसके लिये वे कार्यशालाओं का आयोजन भी करें। डेम के निरीक्षण के दौरान एसडीएम और विभाग के अधिकारियों को बांध घूमने आने वाले लोगों की सुरक्षा व्यवस्था करने के निर्देश दिए।
इसके साथ ही डेम की सुरक्षा के सुधार कार्य करने और रिटायरिंग दीवार को और आगे तक बढ़ाने के निर्देश भी दिए। मंत्री सिलावट ने विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिए कि प्रत्येक तीन माह में किसान संवाद कार्यशाला का आयोजन किया जाए और किसानों से निरंतर संवाद स्थापित किया जाए। इसके लिए स्थानीय जनप्रतिनिधियों सांसद, विधायक से संपर्क कर कार्यशाला का आयोजन किया जाए। उन्होंने कहा कि खरीफ और रबी की फसल के लिए पानी छोड़ने के पहले किसानो से चर्चा करें और क्षेत्रों का भ्रमण करते रहे। नहरों के आसपास यदि अतिक्रमण है तो स्थानीय प्रशासन की मदद से उसे तुरंत हटाने की कार्रवाई सुनिश्चित करें।
जल संसाधन मंत्री ने समीक्षा बैठक में अधिकारियों को बांध की क्षमता को बढ़ाने के लिए भी कार्ययोजना बनाने के निर्देश दिए। वर्तमान में बांध से 72 हजार हेक्टेयर से अधिक में सिंचाई हो रही है। इसे और अधिक बढ़ाने के लिए भी कार्ययोजना बनाई जाये। अधिक क्षेत्रों में सिंचाई क्षमता बढ़ाने के लिए नहरों का विस्तार करने के लिए भी कार्ययोजना बनाकर प्रस्तुत करें। मंत्री सिलावट ने कहा कि किसानों की आर्थिक उन्नति और आय को दुगुना करने के लिए जल संसाधन विभाग की महवपूर्ण भूमिका है। अधिक पानी उपलब्धता से किसान मनचाही फसल ले सकेंगे। नहरों के रखरखाव के लिए विभागीय अधिकारी लगातार निगरानी रखें और मरम्मत का कार्य भीं कराते रहें।
नहर के पास खाली जमीन पर वृक्षारोपण किया जाए। इसके लिए जनप्रतिनिधियों के साथ कार्यक्रम आयोजित किये जायें। वर्तमान में 243 गांव के 30 हजार से अधिक किसान बारना परियोजना से लाभान्वित हो रहे है। इसकी पानी की क्षमता 455 घन मीटर है। बांध की अधिकतम ऊंचाई 47 मीटर और लंबाई 432 मीटर है।मंत्री सिलावट ने कहा कि इसके साथ ही बांध में मछली पालन को बढ़ाने के लिए भी प्रयास किए जाए। इसके लिये नई तकनीक से मछली पालन किया जाए और मार्केट की डिमांड के अनुसार मछली पालन हो। बारना बांध से इस समय 150 मीट्रिक टन मछली उत्पादित हो रही है इसको भी 200 मीट्रिक टन तक बढ़ाया जाए।