कांग्रेस की बैठक के दौरान इंदौर में नेता प्रतिपक्ष चिंटू चौकसे और यूथ कांग्रेस आईटी सेल पदाधिकारी दीपक सोनवाने के बीच विवाद उत्पन्न हो गया, जिसमें लात-घूसे चले। भाजपा से मिलीभगत का आरोप चौकसे पर लगाया गया जिसके यह विवाद थाने तक पहुँच गया, जबकि कुछ नेताओं ने दोनों पक्षों के बीच सुलह करने की कोशिश की।
गांधी भवन में गुरुवार को कांग्रेस नेताओं के बीच आयोजित बैठक में खूब लात घूसे चले। गांधी भवन में जब कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव और मध्य प्रदेश के सह प्रभारी संजय दत्त नेताओं की बैठक ले रहे थे यह विवाद तब हुआ।
यह विवाद नगर निगम में नेता प्रतिपक्ष चिंटू चौकसे, बसंत पाटिल और यूथ कांग्रेस आईटी सेल के पदाधिकारी दीपक सोनवाने और के बीच हुआ। नगर निगम चुनाव के दौरान से ही चौकसे और दीपक के बीच राजनीतिक मतभेद थे। दीपक का टिकट कटने के बाद उन्होंने चौकसे पर गंभीर आरोप लगाए थे।
दो और पांच नंबर विधानसभा के पदाधिकारियों को गुरुवार को बैठक के लिए बुलाया गया था। नेता प्रतिपक्ष चिंटू चौकसे जब बैठक शुरू होते ही बोलने के लिए खड़े हुए, तो बसंत ने टिप्पणी की ‘चौकसे तो भाजपा से मिले हुए हैं और उन्हें निगम से भी कुछ बोलने के लिए पैसे मिलते हैं’। उन्होंने यह भी कहा कि ऐसे व्यक्ति को बैठक में क्या बोलने दिया जाएगा।
चौकसे के खिलाफ सोनवाने की आवाज, समर्थकों ने की पिटाई
जब सोनवाने ने चौकसे के खिलाफ बोलना शुरू किया, तो चौकसे के समर्थकों ने उन्हें ऐसा करने से रोका। लेकिन सोनवाने और बसंत नहीं माने, जिसके बाद चौकसे के समर्थकों ने दोनों की पिटाई शुरू कर दी। इस दौरान जूते और चप्पल भी चले, और दीपक के सिर व हाथ पर खरोचें आईं। इसके बाद दोनों पक्ष थाने पहुंचे और शिकायत दर्ज कराई। कुछ नेताओं ने इस विवाद को सुलझाने की कोशिश भी की।
विरोध की आवाज़ दबाने के लिए धमकियां दी जाती हैं
दीपक ने कहा कि दो नंबर विधानसभा क्षेत्र में चिंटू चौकसे ने अपनी मनमानी शुरू कर रखी है। जो भी उनके खिलाफ बोलता है, उसे धमकियां मिलती हैं। चौकसे की विधानसभा चुनाव में प्रदेश में सबसे बड़ी हार हुई थी, वे एक लाख से अधिक मतों से हारे थे। वहीं, चौकसे ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि यह केवल एक परिवारिक मुद्दा है। कांग्रेस में सभी को अपनी बात रखने का अधिकार है, लेकिन बिना किसी ठोस प्रमाण के आरोप नहीं लगाना चाहिए।