सरवटे बस स्टैंड के पुराने दुकानदारों के साथ वादाखिलाफी क्यों ?

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अर्जुन राठौर

सरवटे बस स्टैंड को जब तोड़ा गया और इसके निर्माण का कार्य शुरू हुआ तब वहां के 14 से अधिक दुकानदारों को नगर निगम के तत्कालीन आयुक्त ने यह आश्वासन दिया था की नए बस स्टैंड का निर्माण होने के बाद उन्हें इसी स्थान पर नई दुकानें बनाकर दे दी जाएगी क्योंकि यहां के पुराने दुकानदार पिछले 40 से अधिक वर्षों से पहले हाउसिंग बोर्ड और उसके बाद नगर निगम के किराएदार बन गए थे ।

किरायेदारों द्वारा निगमायुक्त की बात को मानते हुए अपनी दुकानें खाली कर दी गई इसके बाद नगर निगम ने नसिया रोड वाली पट्टी पर टेंपरेरी दुकान बनाकर दुकानदारों को दी उसमें कुछ समय तक दुकानदारों ने अपना व्यापार भी किया और बाकायदा नगर निगम में किराया भी जमा कराया लेकिन इसके बाद उन्हें वहां से भी यह कहकर हटाया गया कि बस स्टैंड पूरा बन जाने के बाद नई दुकानें बनाकर दी जाएगी लेकिन अब जो नया बस स्टैंड बना है उसमें कहीं पर कोई दुकान नहीं है पिछले 40 वर्षों से यहां पर समाचार पत्र से लेकर अन्य आवश्यक वस्तुओं का व्यापार कर रहे दुकानदारों के साथ अब नगर निगम ने वादाखिलाफी कर दी है दुकानदार परेशान हो रहे हैं कि अब वे बिजनेस कहां करेंगे?

दुकानदारों द्वारा क्षेत्रीय विधायक से लेकर नगर निगम के कमिश्नर तथा अन्य अधिकारियों से मिलकर कई बार अपनी समस्याएं बताई गई है लेकिन उनकी समस्याओं का कोई निराकरण नहीं निकल पाया है जाहिर है कि सालों से धंधा कर रहे दुकानदार अब बेरोजगार हो गए हैं ।