सरकारी जमीन बचाने में इंदौर प्रशासन को मिली बड़ी सफलता, अनुमति याचिका सर्वोच्च न्यायालय में स्वीकार

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इंदौर। राजस्व विभाग के अथक प्रयासों से ग्राम व तहसील देपालपुर स्थित श्री खेड़ापति हनुमान मंदिर की शासकीय कृषि भूमि की 10.081 हेक्टेयर (वर्तमान मूल्य लगभग राशि रू.25 करोड़) संबंधी विशेष अनुमति याचिका को सर्वोच्च न्यायालय, नई दिल्ली व्दारा आज दिनांक 20 अक्टूबर 2022 को स्वीकार कर लिया गया है।

उच्च न्यायालय खण्डपीठ इन्दौर द्वारा अपील में दिनांक 14.06.2013 को शासन पक्ष के विरुध्द निर्णय पारित किया गया था तथा मात्र इस आधार पर कि उक्त भूमि के राजस्व अभिलेख में कलेक्टर प्रबंधक का नाम बिना पुजारी को सुने अंकित किया गया है। पर श्री खेड़ापति हनुमान शासकीय मंदिर की भूमि को निजी मान लिया था। वर्ष 2020 में शासन पक्ष की ओर से प्रस्तुत रिव्यू याचिका को बिना गुणदोष का विचारण किए, याचिका प्रस्तुत करने में 6 वर्ष से भी अधिक समय का विलंब होने के कारण खारिज कर दिया गया था।

कलेक्टर मनीष सिंह द्वारा उक्त प्रकरण में अपर कलेक्टर, देपालपुर क्षेत्र – राजेश राठौड़ को प्रकरण का प्रभारी अधिकारी नियुक्त करते हुए सर्वोच्च न्यायालय में एस.एल.पी. प्रस्तुत करने हेतु निर्देशित किया गया तथा प्रभारी अधिकारी व्दारा कलेक्टर जिला इन्दौर के मार्गदर्शन में उच्च न्यायालय पारित आदेश के विरूध्द एस. एल. पी. पारित की गई तथा मूल तथ्यों को स्टेंडिंग काउन्सिल के माध्यम से सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष रखा गया।

सर्वोच्च न्यायालय व्दारा विलंब से याचिका प्रस्तुत करने पर, दोषी अधिकारियों के विरूध्द राज्य शासन व्दारा की गई कार्यवाही संबंधी रिपोर्ट प्रस्तुत करने हेतु निर्देशित किया गया, जिसके पालन में राज्य शासन की ओर प्राप्त निर्देशों के अनुक्रम में अपर कलेक्टर, जे.सी. शाखा व्दारा विलंब करने वाले अधिकारियों की जॉच रिपोर्ट शासन स्तर पर प्रेषित की गई, जिसके आधार पर राजस्व विभाग द्वारा 02 तहसीलदारों की एक-एक वेतन वृद्धि रोकी गई तथा 03 तहसीलदारों पर परिनिन्दा की शास्ति अधिरोपित की गई। उक्त रिपोर्ट सर्वोच्च न्यायालय में प्रस्तुत की गई। सर्वोच्च न्यायालय व्दारा राज्य शासन व्दारा जॉच रिपोर्ट के आधार पर की गई कार्यवाही से सहमत होते हुए, राज्य शासन द्वारा प्रस्तुत एस.एल.पी. को दिनांक 20.10.2022 को स्वीकार कर लिया गया है।

उच्च न्यायालय खण्डपीठ इंदौर द्वारा पारित निर्णय दिनांक 09/04/2013 में पर्चा बाबत तहकीकात इनाम जमीन नाम मौजा कस्बा देपालपुर होल्कर स्टेट दिनांक 02/09/1931 (Ex.p-7) को आधार बनाते हुए तुलसीराम गुरु मगनीरामदास बैरागी साकिन देह का उल्लेख किया गया है। इसके अलावा विवादित भूमि पर कलेक्टर इंदौर का नाम प्रबंधक के रूप में दर्ज करने के दौरान राजस्व अभिलेख शुद्धिकरण की कार्यवाही धारा 115 म. प्र.भू.संहिता 1959 के प्रावधानों के अनुसार विधिक जांच कार्यवाही नहीं करने तथा वादी को सुनवाई का अवसर नहीं देने का भी लेख किया गया है ।

उच्च न्यायालय म.प्र. खण्डपीठ इंदौर द्वारा द्वितीय अपील क्रमांक 522/2005 में पारित निर्णय दिनांक 09 अप्रैल 2013 के आधार पर आवेदक मूर्ति श्री खेड़ापति हनुमान मंदिर मल्लहार बाग देपालपुर तर्फे यादवदास जिला गोवर्धन निवासी गणेश मार्ग देपालपुर द्वारा ग्राम कस्बा देपालपुर की भूमि सर्वे क्रमांक 190,1065 व 1066 पर भूमि स्वामी प्रबंधक कलेक्टर महोदय के शब्द की प्रविष्टि को हटाकर आवेदक का नाम दर्ज करने हेतु म.प्र.भू.रा. संहिता 1959 की धारा 115 के अंतर्गत आवेदन पत्र दिनांक 27/08/2015 को प्रस्तुत किया गया।

न्यायालय तहसीलदार देपालपुर में धारा 115 म.प्र. भू. रा. संहिता 1959 के अंतर्गत रिकार्ड सुधार संबंधी प्रकरण दर्ज कर हल्का पटवारी से जांच प्रतिवेदन लिया गया। उक्त प्रकरण के परीक्षण के दौरान माननीय उच्च न्यायालय म.प्र. खण्डपीठ इंदौर के निर्णय दिनांक 09/04/2013 के पालन करने अथवा अपील करने के संबंध में शासकीय भूमि पर शासन के हित प्रभावित होने का लेख करते हुए, कार्यालय अतिरिक्त महाधिवक्ता उच्च न्यायालय खण्डपीठ इंदौर से पत्राचार किया गया। कई बार पत्राचार करने एवं अतिरिक्त महाधिवक्ता महोदय से व्यक्तिगत रूप से मिलने के पश्चात उनके द्वारा इस संबंध में पत्राचार कलेक्टर महोदय के माध्यम से किये जाने हेतु निर्देशित किया गया था।

इसके पश्चात कार्यालय अति. महाधिवक्ता उच्च न्यायालय इंदौर से अभिमत प्राप्त कर प्रकरण में माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने एस.एल.पी. दायर करने हेतु सर्वोच्च न्यायालय में मध्यप्रदेश शासन के स्टेंडिंग काउंसिल स्थायी अधिवक्ता से समक्ष में चर्चा की गई जिसके संबंध में स्थायी अधिवक्ता द्वारा अवगत करवाया गया कि, प्रकरण में 6 वर्ष से अधिक समय का विलंब होने से यदि एस.एल.पी. दायर की जाती है, तो प्रथम दृष्टया ही एस. एल.पी खारिज होने तथा शासन पर भारी जुर्माना लगाये जाने की आशंका जताई गई। अतः कार्यालय कलेक्टर, जिला इंदौर के पत्र कमांक (शासकीय भूमि) प्र.क.- 06/जेसी / 2019/2393 इंदौर दिनांक 26/12/2019 द्वारा अनुविभागीय अधिकारी देपालपुर को समस्त आवश्यक दस्तावेज सहित अविलंब शासकीय अधिवक्ता से संपर्क कर उक्त पारित निर्णय के विरुद्ध माननीय उच्च न्यायालय खण्ड पीठ इंदौर में रिव्यू पिटीशन दायर करने संबंधी निर्देश दिया गया।

इसके बाद अनुविभागीय अधिकारी देपालपुर द्वारा माननीय उच्च न्यायालय म.प्र. खण्डपीठ इंदौर के समक्ष रिव्यू पिटीशन नंबर 1027/2020, दायर किया गया जिसमे विलंब के लिए क्षमा याचना संबंधी आवेदन पत्र भी प्रस्तुत किया गया था। उक्त रिव्यू पिटीशन का निराकरण करते हुए दिनांक 09/12/2020 को विलंब के आधार पर दोषी अधिकारी की जांच करने एवं उसके विरुद्ध रूपये 25,000 हजार का अर्थ दंड आरोपित करते हुए रिव्यू पिटीशन माननीय उच्च न्यायालय द्वारा निरस्त कर दिया गया।

उच्च न्यायालय के रिव्यू पिटीशन नंबर 1027/2020 पारित आदेश दिनांक 09/12/2020 के पालन में माननीय उच्च न्यायालय में शासन के पक्ष प्रतिरक्षण में विलंब एवं लापरवाही हेतु दोषी अधिकारियों की जांच अपर कलेक्टर, इंदौर जेसी शाखा द्वारा करते हुए तत्कालीन तहसीलदार श्री अवधेश चतुर्वेदी को दोषी होना पाते हुए, उनके विरूद्ध रूपये 25,000 की राशि का अर्थदण्ड आरोपित कर माननीय उच्च न्यायालय खण्डपीठ, इंदौर में न्यायालय विधिक सेवा समिति के नाम रसीद उच्च दिनांक 23/12/2021 को जमा कराई गई। तत्कालीन कमांक 551 तहसीलदार अवधेश चतुर्वेदी सेवानिवृत्त होने के कारण उनके विरुद्ध अन्य कार्यवाही नहीं की गई।

इसके पश्चात माननीय सर्वोच्च न्यायालय में उच्च न्यायालय द्वारा पारित आदेश के विरुद्ध एस.एल.पी दायर की गई, जिसमें शासन का पक्ष अधिक प्रभावशाली ढंग से रखा जा सके इस हेतु श्री राजेश राठौड़, अपर कलेक्टर जिला इंदौर को प्रभारी अधिकारी नियुक्त किया गया। माननीय सर्वोच्च न्यायालय में दर्ज स्पेशल लीव पिटिशन डायरी नंबर 22095/2021 स्टेट ऑफ एम.पी. एवं अन्य विरूद्ध मूर्ति श्री खेड़ापति हनुमान मंदिर वर्तमान में विचाराधीन है, जिसमे दिनांक 17/05/2022 को माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा सुनवाई पश्चात दिये गये निर्देश अनुसार सुश्री मृणाल ऐल्कर मजूमदार, एडव्होकेट ऑन रिकॉर्ड सर्वोच्च न्यायालय द्वारा पत्र कमांक F/470/COM/2022, दिनांक 20/05/2022 द्वारा ई-मेल के माध्यम से पत्र प्रेषित कर प्रकरण में अपर कलेक्टर इंदौर द्वारा जांच में पाये गये दोषी अधिकारियों के विरुद्ध अन्य कार्यवाही अभी तक नहीं किये जाने का लेख करते हुए आवश्यक कार्यवाही कर कृत कार्यवाही की जानकारी आगामी सुनवाई के पूर्व प्रस्तुत करने का निर्देश दिया गया है।

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उक्त निर्देशों के पालन में अपर कलेक्टर, जे.सी. व्दारा प्रकरण में विलंब करने वाले अधिकारियों की जाँच की गई तथा जाँच प्रतिवेदन शासन स्तर पर प्रेषित किया गया। जॉच प्रतिवेदन के आधार पर राज्य शासन द्वारा 01 तत्कालीन तहसीलदारों ( योगेन्द्र सिंह मौर्य) की 01 वेतन वृद्धि रोकी गई तथा 02 तत्कालीन तहसीलदारों (केश्या सोलंकी एवं चरणजीत सिंह हुड्डा ) को परिनिन्दा की शास्ति अधिरोपित की गई। राज्य शासन व्दारा दोषी अधिकारियों के विरूध्द की गई कार्यवाही का प्रतिवेदन माननीय सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया गया, जिसे माननीय न्यायालय द्वारा स्वीकार करते हुए, एस.एस.पी. को आज दिनांक 20.10.2022 को स्वीकार कर लिया गया है तथा शासन पक्ष के विरूध्द माननीय उच्च न्यायालय के आदेश पर स्थगन भी जारी किया गया है।