जहां भाजपा की सरकार वहां पूर्ण शराब बंदी हो – उमा भारती

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By Akanksha JainPublished On: January 21, 2021

भोपाल। प्रदेश के मुरैना जिले में जहरीली शराब कांड होने के बाद एमपी में शराब बंदी को लेकर आवाज और तेज होती जा रही है। वही विपक्ष भी शराब बंदी को लेकर निशाना साध रहा है, दूसरी ओर बीजेपी की वरिष्ठ नेत्री उमा भर्ती ने भी शराब बंदी को लेकर अपनी राय दी है। उन्होंने ट्वीट के जरिये अपनी राय दी है।

उमा भारती ने अपने ट्वीट में लिखा कि, मध्यप्रदेश में शराब की दुकानों की संख्या बढ़ाने के बारे में सरकार ने अभी कोई निर्णय नहीं लिया है। प्रदेश के सीएम शिवराज सिंह जी का यह वक्तव्य अभिनंदनीय है। अपने अगले ट्वीट में उमा भारती लिखती है कि कोरोनाकाल के लॉकटाउन के समय पर लगभग शराबबंदी की स्थिति रही, इससे यह तथ्य स्पष्ट हो गया है कि अन्य कारणों एवं कोरोना से लोगों की मृत्यु हुई किंतु शराब नहीं पीने से कोई नहीं मरा। उन्होंने कहा कि, अभी हाल में उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में शराब पीने से बड़ी संख्या में लोगों की मृत्यु हुई। सड़क दुर्घटनाओं के अधिकतर कारण तो ड्रायर का शराब पीना ही होता है। यह बड़े आचर्य की बात है कि शराब मृत्यु का दूत है। फिर भी बोड से राजस्य का लालच एवं शराब माफिया का दबाय भाराबबंदी नहीं होने देता है।

बीजेपी नेता अपने अगले ट्वीट में लिखा कि अगर देखा जाए तो सरकारी व्यवस्था ही लोगों को शराय पिलाने का प्रबंध करती है। जैसे मां जिसकी जिम्मेदारी अपने बालक को पोषण करते हुए रक्षा करने की होती है। यही मां अगर बच्चे को जहर पिला देतो, सरकारी तंत्र के द्वारा शराब की दुकाने खोलना ऐसे ही है। साथ ही उमा भर्ती ने शराबबंदी को लेकर भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष से निवेदन करते हुए लिखा कि ‘मैं तो अपने राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री जेपी नड्डा जी से इस ट्वीट के माध्यम से सार्वजनिक अपील करती हूं कि जहां भी भाजपा की सरकार हैं उन राज्यों में पूर्ण शराबबंदी की तैयारी करिए। राजनीतिक दलों को युनाव जीतने का दबाथ रहता है। बिहार की भाजपा की जीत यह साबित करती है कि शराबबंदी के कारण ही महिलाओं ने एकतरफा वोट नीतीश कुमार जी को दिये।’

उन्होंने कहा कि, शराबबंदी कहीं से भी घाटे का सौदा नहीं है। शराब बंदी से राजस्थ को हुई क्षति को कहीं से भी पूरा किया जा सकता है। किंतु शराब के नशे में बलात्कार, हत्याएं, दुर्घटनाएं छोटी बालिकाओं के साथ दुष्कर्म जैसी घटनाएं भयावह हैं तथा देश एवं समाज के लिए कलंक है। कानून व्यवस्था को सँटन करने के लिए हजारों करोड़ रूपये खर्च होत है समाज में संतुलन बनाए रखने के लिए शराबबंदी एक महत्वपूर्ण कदम है इस पर एक डिबेट शुरु की जा सकती है।