यूपी विधानसभा चुनाव: कम वोटिंग का एक ही मतलब है

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By Mohit DevkarPublished On: February 22, 2022

लखनऊ: यूपी विधानसभा चुनाव को लेकर तीन चरणों में मतदान की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है और अब यदि इंतजार है तो चुनाव परिणाम का। जिन प्रत्याशियों ने चुनावी समर में कूदकर अपना भाग्य आजमाया है उन्हें ही नहीं बल्कि उनके समर्थकों को भी चुनाव परिणाम को लेकर धुकधुकी बनी हुई है।

इधर तीन चरणों में हुए वोटिंग के प्रतिशत पर नजर डाली जाए तो वोटिंग का आंकड़ा कम ही सामने आया है। चुनाव विश्लेषकों की यदि माने तो कम वोटिंग होने का एक ही मतलब माना जा सकता है और वह है मौजूदा सरकार की उदासीनता। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि यूपी सूबे की 403 विधानसभा सीटों में से 172 सीटों पर अब तक मतदान हो चुका है।

तब और अब के आंकड़े

प्राप्त जानकारी के अनुसार वर्ष 2017 में हुए विधानसभा चुनाव के मुकाबले इस बार चुनाव में मतदान कम हुआ है। पहले चरण में 58 सीटों के लिए वोटिंग हुई और वोटिंग का प्रतिशत 60.71 प्रतिशत था। वोटिंग का यह प्रतिशत बीते 2017 के चुनाव के मुकाबले चार प्रतिशत कम रहा। इसी तरह दूसरे चरण के दौरान 55 सीटों पर 60 प्रतिशत व तीसरे चरण में वोटिंग का प्रतिशत 61 रहा। वर्ष 2017 में हुए चुनाव के दौरान यही प्रतिशत 62 के लगभग रहा था।

मायने तलाशे जा रहे है

देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव को लेकर पूरे देश भर की नजर है। भाजपा की सरकार बनाने के लिए लगभग सभी नेताओं ने अपनी ताकत झोंक रखी है तो वहीं कांग्रेस भी सत्ता प्राप्ति हेतु छटपटा रही है। हालांकि चुनाव परिणाम किसके पक्ष में रहेगा, यह तो अभी समय के गर्त में है परंतु इतना जरूर है कि कम वोटिंग होने के राजनीतिक मायने जरूर तलाशे जाने लगे है। यह भी सामने आ रहा है कि राजनीतिक दलों के प्रमुख ही नहीं बल्कि विश्लेषक भी विचार मंथन कर रहे है कि आखिर कम वोटिंग का फायदा किसे होगा या नुकसान कौन झेलेगा।

प्रतिष्ठा दांव पर लगी है

बता दें कि तीन चरणों में अभी तक पश्चिमी उत्तर प्रदेश, सेंट्रल उत्तर प्रदेश के साथ ही बुंदेलखंड में मतदान की प्रक्रिया संपन्न हो चुकी है और अब आने वाले चार चरणों में पूर्वांचल और अवध जैसे क्षेत्रों में मतदान होना है। इन दोनों ही क्षेत्रों में भाजपा के अलावा सपा की प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है। दोनों ही राजनीतिक दलों के नेता अपने पक्ष में माहौल बनाने के लिए जुट गए है। हालांकि इस चुनाव में किसी तरह की लहर नहीं दिखाई दे रही है।