सड़क खराब तो टोल क्यों? हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, कहा- ‘अगर सड़क की हालत ठीक नहीं है, तो…’

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By Meghraj ChouhanPublished On: February 27, 2025
Toll Tax

भारत में पिछले एक दशक में सड़कों के बुनियादी ढ़ांचे की ग्रोथ तेजी से हुई है, खासकर राष्ट्रीय राजमार्गों का। इन सड़कों के निर्माण और रखरखाव के लिए टोल टैक्स एक महत्वपूर्ण स्रोत बन चुका है। हालांकि, हाल के वर्षों में टोल टैक्स को लेकर विवाद सामने आए हैं, खासकर तब जब सड़कें खराब स्थिति में होती हैं और फिर भी वाहनों से शुल्क लिया जाता है।

जम्मू कश्मीर और लद्दाख हाईकोर्ट ने हाल ही में इस पर अहम फैसला सुनाया, जिसमें कहा गया कि अगर सड़क की हालत ठीक नहीं है, तो टोल वसूला नहीं जा सकता। कोर्ट ने यह भी कहा कि खराब सड़कों पर टोल वसूली, जनता के अधिकारों का उल्लंघन है। क्योंकि शुल्क सुविधा के बदले लिया जाता है, लेकिन यहां तो कोई सुविधा नहीं है।

क्या कहता है नियम?

सड़क खराब तो टोल क्यों? हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, कहा- 'अगर सड़क की हालत ठीक नहीं है, तो...'

भारत में टोल टैक्स का संचालन राष्ट्रीय राजमार्ग शुल्क नियम, 2008 के तहत होता है, जो सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय द्वारा निर्धारित किए गए हैं। इन नियमों के अनुसार, टोल प्लाजा के बीच कम से कम 60 किलोमीटर की दूरी होनी चाहिए। अगर यह दूरी कम होती है, तो मंत्रालय टोल प्लाजा को हटाने का अधिकार रखता है।

स्थानीय निवासियों को मिलती है राहत

इसके अलावा, स्थानीय निवासियों को राहत देने के लिए कुछ छूट भी दी जाती है, जैसे कि 20 किलोमीटर के दायरे में रहने वालों को मासिक पास मिल सकता है, जो सामान्य टोल से सस्ता होता है। फास्टैग सिस्टम से टोल वसूली को तेज और पारदर्शी बनाने की कोशिश की गई है, हालांकि तकनीकी समस्याओं के कारण कई बार वाहन चालकों को परेशानी का सामना करना पड़ता है।

‘यह जनता पर बोझ नहीं बनना चाहिए’

केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने टोल टैक्स को लेकर कई बार अपनी राय जाहिर की है। उनका कहना है कि टोल टैक्स सड़क निर्माण और रखरखाव के लिए जरूरी है, लेकिन यह जनता पर बोझ नहीं बनना चाहिए। गडकरी ने यह भी वादा किया था कि टोल बूथों को गांवों से बाहर स्थानांतरित किया जाएगा, ताकि स्थानीय लोगों को किसी भी प्रकार की समस्या न हो।