राष्ट्रपति शासन से पहले मणिपुर में बढ़ी हलचल, म्यांमार से 75 दिनों में हुई 7,000 लोगों की एंट्री

मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लागू होने के बाद राज्य का प्रशासन अब पूरी तरह राज्यपाल के अधीन आ गया है। इससे पहले, दिसंबर 2024 से अब तक म्यांमार से लगभग 7,000 लोग मणिपुर में प्रवेश कर चुके हैं, जिनकी निगरानी सुरक्षा एजेंसियों द्वारा की जा रही है।

गुरुवार को मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लागू करने की अधिसूचना जारी की गई, जिससे राज्य का प्रशासन अब पूरी तरह से राज्यपाल के अधीन आ गया है। हाल ही में पूर्व केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला को मणिपुर के राज्यपाल पद की जिम्मेदारी सौंपी गई थी।

राष्ट्रपति शासन लागू होने से पहले, दिसंबर 2024 से अब तक म्यांमार से लगभग 7,000 लोग मणिपुर में प्रवेश कर चुके हैं। यह प्रवेश राज्य के 43 निर्धारित एंट्री प्वाइंट्स के माध्यम से हुआ है। प्रवासियों को दस किलोमीटर के दायरे में रहने की अनुमति दी गई है, और उनकी गतिविधियों पर असम राइफल्स, स्थानीय पुलिस और खुफिया एजेंसियां कड़ी नजर रख रही हैं। सभी प्रवासियों का रिकॉर्ड बायोमेट्रिक प्रणाली के तहत सुरक्षित किया गया है।

इसके अतिरिक्त, मणिपुर से असम राइफल्स की चार यूनिटों—करीब 4,800 जवानों—को जम्मू-कश्मीर में तैनात किया गया है। पिछले वर्ष दो यूनिटों की तैनाती की गई थी, और हाल ही में दो अन्य यूनिटों को वहां भेजने की प्रक्रिया शुरू की गई है।

राष्ट्रपति शासन से पहले मणिपुर में बढ़ी हलचल, म्यांमार से 75 दिनों में हुई 7,000 लोगों की एंट्री

मणिपुर में अवैध घुसपैठ पर रोक लगाने के लिए केंद्र सरकार ने पिछले वर्ष भारत-म्यांमार सीमा को सील करने का फैसला किया था। 1,610 किलोमीटर लंबी इस सीमा पर सुरक्षा व्यवस्था को मज़बूत किया जा रहा है, और बॉर्डर फेंसिंग का कार्य भी प्रगति पर है।

इसके तहत, केंद्र सरकार ने मणिपुर में सीआरपीएफ की दो बटालियनों को स्थायी रूप से तैनात किया है, जबकि 20,000 से अधिक केंद्रीय अर्धसैनिक बलों के जवान पहले से ही वहां सुरक्षा की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं। इसके अलावा, भारत-म्यांमार सीमा पर वर्षों से जारी मुक्त आवाजाही प्रणाली (FMR) को समाप्त कर दिया गया है।

सूत्रों के मुताबिक, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह नियमित रूप से मणिपुर की सुरक्षा स्थिति की समीक्षा कर आवश्यक निर्णय ले रहे हैं। सीमा पर अवैध घुसपैठ को रोकने के लिए दोनों देशों के बीच आवाजाही के नियमों को कड़ा कर दिया गया है, और अब यह सुविधा केवल 10 किलोमीटर के दायरे तक सीमित कर दी गई है।