Tirupati Temple: तिरुपति मंदिर में लाइन की टेंशन खत्म, बदल गए नियम… अब होंगे दो घंटे में दर्शन, VIP कोटा बंद

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By Meghraj ChouhanPublished On: November 19, 2024

Tirupati Temple: आंध्र प्रदेश के तिरुमला स्थित प्रसिद्ध तिरुपति मंदिर में दर्शन की व्यवस्था में एक बड़ा बदलाव होने जा रहा है। श्रद्धालुओं की बढ़ती संख्या को ध्यान में रखते हुए तिरुमला तिरुपति देवस्थानम (TTD) ने निर्णय लिया है कि अब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और अत्याधुनिक तकनीक का उपयोग करके दर्शन की प्रक्रिया को तेज किया जाएगा। इसके तहत अब श्रद्धालुओं को सिर्फ 2 घंटे में भगवान वेंकटेश्वर के दर्शन कराए जाएंगे।

अब होंगे दो घंटे में दर्शन

वर्तमान में तिरुपति मंदिर में दर्शन करने के लिए श्रद्धालुओं को 20 से 30 घंटे तक लंबा इंतजार करना पड़ता है। हर दिन लगभग 1 लाख श्रद्धालु मंदिर आते हैं, जिससे दर्शन में अत्यधिक समय लगता है। लेकिन नई व्यवस्था के तहत श्रद्धालु अब मात्र 2 घंटे में दर्शन पूरी कर सकेंगे, जिससे मंदिर में आने वाले भक्तों को जल्दी और सुविधाजनक दर्शन का अनुभव होगा।

VIP कोटा बंद

तिरुपति देवस्थानम बोर्ड ने घोषणा की है कि अब से स्पेशल एंट्री दर्शन का कोटा समाप्त किया जाएगा। इससे वीआईपी दर्शन पर उठ रहे विवादों पर भी रोक लगेगी। बोर्ड ने यह कदम इसलिए उठाया है ताकि दर्शन की प्रक्रिया में किसी भी तरह की असमानता या विवाद से बचा जा सके। अब सभी श्रद्धालु समान रूप से भगवान वेंकटेश्वर के दर्शन करेंगे।

स्थानीय नागरिकों के लिए विशेष व्यवस्था

तिरुपति के स्थानीय नागरिकों के लिए हर महीने के पहले मंगलवार को एक विशेष दर्शन व्यवस्था की जाएगी, ताकि उन्हें आसानी से मंदिर में प्रवेश मिल सके और उनकी धार्मिक भावनाओं का सम्मान किया जा सके।

राजनीतिक बयानबाजी पर होगी कड़ी कार्रवाई

मंदिर परिसर में अब से कोई भी नेता राजनीतिक बयान नहीं दे सकेगा। बोर्ड ने स्पष्ट किया है कि यदि कोई नेता यहां राजनीतिक बयानबाजी करता है, तो उसे कानूनी नोटिस भेजा जाएगा। यह कदम मंदिर के धार्मिक माहौल को बनाए रखने के लिए उठाया गया है।

प्रसाद विवाद ने भी पकड़ा था तूल

हाल ही में तिरुपति मंदिर के प्रसाद—विशेष रूप से लड्डू—में मिलावटी घी की बात सामने आई थी। 9 जुलाई 2024 को लिए गए घी के नमूनों में पशु की चर्बी, मछली का तेल और अन्य आपत्तिजनक सामग्री की बात सामने आई थी। इस पर विवाद और राजनीति तेज हो गई थी। मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने इस घटना को श्रद्धालुओं की भावनाओं के साथ खिलवाड़ बताते हुए आलोचना की, जबकि वाईएसआरसीपी ने इसे राजनीतिक षड्यंत्र करार दिया। इस विवाद के बाद प्रसाद की व्यवस्था में भी बदलाव किए गए थे।