देशभर में इन दिनों चुनावी माहौल चल रहा है। ऐसे में पक्ष-विपक्ष द्वारा लगातार अपने भाषणों के द्वारा एक दूसरे पर हमला भी किया जा रहा है। जिसके बाद देश की सर्वोच्च अदालत ने इन नफरती भाषणों को लेकर सख्त कदम उठाते हुए यह फैसला लिया है कि केंद्र शासित प्रदेशों (union territories) को नफरत फैलाने वाले भाषणों पर FIR दर्ज की जायेगी, चाहे कोई शिकायत नहीं आई हो।
जस्टिस केएम जोसफ और जस्टिस बीवी नागरत्ना की पीठ ने नफरती भाषणों को ‘गंभीर अपराध बताया जो देश के धार्मिक तानेबाने को नुकसान पहुंचा सकते हैं। इसके साथ ही सर्वोच्च न्यायालय (supreme court) ने चेतावनी देते हुए कहा कि इस मामले में अगर केस दर्ज करने में देरी की जाती है तो उसे अदालत की अवमानना माना जाएगा।
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गौरतलब है कि इससे पहले उत्तर प्रदेश, दिल्ली और उत्तराखंड को निर्देश दिया था कि घृणा फैलाने वाले भाषण देने वालों पर कड़ी कार्रवाई की जाए। बता दें, शीर्ष अदालत का यह आदेश पत्रकार शाहीन अब्दुल्ला की याचिका पर आया है जिन्होंने शुरू में पहले दिल्ली, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड को नफरत फैलाने वाले भाषण देने वालों के खिलाफ मामले दर्ज करने का निर्देश देने का अनुरोध किया था।