पढ़िए राहत इंदौरी की ऐसी गजल, जो अब सिर्फ याद बन चुकी है

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By Akanksha JainPublished On: August 11, 2020

इंदौर: शायरी की दुनिया में एक शायर सितारा बन चुका है। अपनी शायरी, गजल और गानों से जिसने सैकड़ो लोगो के दिलों पर कब्ज़ा किया बदकिस्मती से अब वो इस दुनिया में नहीं रहे। मशहूर शायर राहत इंदौरी का निधन 70 साल की आयु में हो गया। बता दे कि कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद उन्हें अरविंदो अस्पताल में भर्ती किया गया था। डॉक्टर भंडारी के मुताबिक राहत इंदौरी तीन अटैक आए थे। मशहूर शायर राहत इंदौरी ने एक से बढ़कर एक शायरियां लिखी है और वह खुद कई जगह मुशायरे करने जाते थे। उनकी कुछ शायरियां हम आपको बताते हैं।

आसमां ओढ़ के सोए हैं खुले मैदां में,
अपनी ये छत किसी दीवार की मोहताज नहीं,

हमसे पहले भी मुसाफ़िर की गुज़रे होंगे,
कम से कम राह का पत्थर तो हटाते जाते,

मुहब्बतों का सबक़ दे रहे हैं दुनिया को,
जो ईद अपने सगे भाई से नहीं मिलते,

यह जिंदगी मुझे कर्जदार करती हैं कहीं अकेले में मिल जाए तो हिसाब करूं।

ऐसे ही हजारों शायरियां राहत इंदौरी ने अपने जीवन में लिखी है।

राहत इंदौरी की मशहूर गजल जो की आज हर एक बच्चे की जबान पर है। तो आईये पढ़ते हैं उनकी ये मुकम्मल गज़ल।

बुलाती है मगर जाने का नहीं,
ये दुनिया है इधर जाने का नहीं,

मेरे बेटे किसी से इश्क़ कर,
मगर हद से गुज़र जाने का नहीं,

ज़मीं भी सर पे रखनी हो तो रखो,
चले हो तो ठहर जाने का नहीं,

सितारे नोच कर ले जाऊंगा,
मैं खाली हाथ घर जाने का नहीं,

वबा फैली हुई है हर तरफ,
अभी माहौल मर जाने का नहीं,

वो गर्दन नापता है नाप ले,
मगर ज़ालिम से डर जाने का नहीं।