अब गोबर भी बनेगा कमाई का जरिया, NDDB की नई योजना से पशुपालकों को होगा फायदा

राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (NDDB) की नई योजना के तहत अब पशुपालक गोबर बेचकर भी आय कमा सकेंगे। जैविक खाद और बायोगैस उत्पादन हेतु गोबर खरीदा जाएगा, जिससे किसानों की आमदनी बढ़ेगी, स्वच्छ ऊर्जा को बढ़ावा मिलेगा और देश में कृषि तथा पर्यावरण संरक्षण को नई दिशा मिलेगी।

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देश में पशुपालन को एक नया आय स्रोत देने के लिए राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (NDDB) ने एक महत्वपूर्ण योजना शुरू की है। अब पशुपालक सिर्फ दूध ही नहीं, बल्कि गोबर से भी अच्छा-खासा मुनाफा कमा सकेंगे। NDDB की यह पहल न केवल किसानों की आय बढ़ाएगी, बल्कि पर्यावरण और ऊर्जा क्षेत्र में भी अहम भूमिका निभाएगी।

हर दिन खरीदा जाएगा 16 करोड़ टन गोबर

NDDB की योजना के तहत देशभर के पशुपालकों से प्रतिदिन 16 करोड़ टन गोबर खरीदा जाएगा। यह गोबर छोटे पशुपालकों से लेकर बड़े डेयरी प्लांट्स तक से लिया जाएगा। दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान, NDDB ने 15 राज्यों की 26 दुग्ध सहकारी समितियों के साथ इस योजना को लेकर समझौता किया है।

अब सफाई नहीं, गोबर से मिलेगी आमदनी

अभी तक ज्यादातर पशुपालक केवल दूध बेचकर ही आमदनी करते थे, जबकि गोबर का कोई ठोस उपयोग नहीं होता था। कई बार तो इसे साफ करने के लिए मजदूरों को पैसे देने पड़ते थे। लेकिन अब सरकार की इस पहल से पशुपालक गोबर बेचकर भी अच्छी कमाई कर सकेंगे।

जैविक खेती और ऊर्जा उत्पादन में होगा गोबर का उपयोग

खरीदे गए गोबर का इस्तेमाल जैविक खाद और बायोगैस उत्पादन के लिए किया जाएगा। NDDB और नाबार्ड (NABARD) के बीच हुए समझौते के तहत बायोगैस प्लांट्स बनाए जाएंगे, जिनसे स्वच्छ ऊर्जा उत्पन्न की जाएगी। यह कदम स्वच्छ ऊर्जा, पर्यावरण सुरक्षा और जैविक खेती को बढ़ावा देने में सहायक सिद्ध होगा।

विदेशों में भी है गोबर की मांग

माना जा रहा है कि आने वाले वर्षों में गोबर की अंतरराष्ट्रीय बाजारों में भी अच्छी मांग होगी। इससे भारत में गोबर की उचित कीमत मिलने लगेगी। जैविक खाद और ग्रीन एनर्जी की बढ़ती मांग से यह नया बाजार विकसित हो रहा है।

बायोगैस प्रोजेक्ट पर खर्च होंगे हजारों करोड़

NDDB की योजना के तहत आने वाले वर्षों में देशभर में छोटे और बड़े बायोगैस प्लांट्स स्थापित किए जाएंगे। इसके लिए लोन सहायता और नई वित्तीय योजनाएं तैयार की जा रही हैं। सरकार का लक्ष्य है कि आने वाले 10 वर्षों में खाद प्रबंधन के आधुनिक मॉडल को अपनाकर कृषि और ऊर्जा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता लाई जा सके।