MP

लालबाग में चल रहे मालवा उत्सव में जनजातीय लोक नृत्यो ने बांधा समां

Author Picture
By Pirulal KumbhkaarPublished On: December 27, 2021

इंदौर। छोटे-छोटे बच्चे मास्क पहनकर रिमोट से चलने वाली कार में बैठकर कार चलाते हुए, युवक युवतियां ऊंट पर सवारी करके आनंद लेते, हुए झूला झूलते हुए जोर से चिल्लाने की आवाज निकालना और मालवीय व्यंजनों का लजीज स्वाद का गुणगान करते हुए मालवा उत्सव में आने वाले हर कला प्रेमी दर्शक 2 साल बाद हुए इस उत्सव में उत्साह से लेकिन कुछ सावधानी बरतते हुए शामिल हो रहे हैं । मंच के कार्यकर्ता लगातार मास्क पहनने का आग्रह करते नजर आ रहे थे और माइक से बार-बार सोशल डिस्टेंसिंग एवं मास्क पहनने की गुजारिश की जा रही थी और स्वयं को सुरक्षित रखनेकी बात कही जा रही थी वही स्थान स्थान पर मास्क पहनने का निवेदन करते हुए लोक संस्कृति मंच के संयोजक शंकर लालवानी जी के संदेश चारों तरफ लगाए गए।

must read: प्रभात फेरी में कुचल दिए पौधें, प्रशासन ने भेज दिया 30 हजार के नुकसान की भरपाई का नोटिस

लालबाग में चल रहे मालवा उत्सव में जनजातीय लोक नृत्यो ने बांधा समां

लोक संस्कृति मंच एवं अवंतिका गैस के सहयोग से आयोजित इस उत्सव में सांस्कृतिक संध्या का आगाज आज सायंकाल 7:00 बजे हुआ मंच के संयोजक शंकर लालवानी ने बताया जनजातीय नृत्य और लोक कला को समर्पित इस उत्सव में आज डिंडोरी से बैगा जनजाति के समूह द्वारा दशहरा से होली तक किया जाने वाला नृत्य घोड़ी पठाई बहुत ही सुंदर बन पड़ा जिसमें कलाकारों ने पीला झोंगा, पीला शर्ट, माला एवं बिछिया, मोर पंख कलंगी लगाकर नृत्य किया वही गोंड जनजाति के द्वारा किया जाने वाला नृत्य जो कि गोवर्धन पूजा के समय दीपावली पर किया जाता है इसमें लोक कलाकारों ने लंबी-लंबी बांसुरी एवं सिंगी वाद्य का उपयोग कर धोती कुर्ता एवं साफे में नृत्य किया ।वही कोरकु जनजाति के द्वारा होली दीपावली दशहरा एवं हर खुशी के मौके पर किया जाने वाला नृत्य गदली प्रस्तुत किया गया जिसमें महिला पुरुष गोल घेरा बनाकर नृत्य कर रहे थे स्थानीय कलाकारों अंकिता अग्रवाल एवं 15 साथियों ने शिव” वंदना कर्पूर गौरम करुणावतारं” प्रस्तुत की। गुजरात पोरबंदर से आई हुई टीम जो कि राष्ट्रीय परेड में 5 बार शामिल हो चुके हैं एवं 15 देशों में अपनी प्रस्तुतियां दे चुकी है ने शानदार ढाल तलवार नृत्य प्रस्तुत किया यह महर राजपूत जनजाति का प्रसिद्ध नृत्य है इसमें अद्भुत शौर्य रस के दर्शन हुए यह नृत्य महर राजपूत समाज द्वारा वतन के लिए युद्ध में विजय प्राप्त करने के पश्चात जब उत्सव मनाया जाता है मैं किया जाता है “बोल थे आबमा उगले चांद लो जीजाबाई ने आवा बाढ़”, इसके अलावा आज तेलंगाना का लंबार्डी, माथुरी एवं आंध्र प्रदेश का गरा गल्लू नृत्य भी प्रस्तुत किए गए।

दिनांक 28 दिसंबर को कोरकु, बेगा, गोंड जनजातीय नृत्य एवं गरबा, मटकी, सिद्धि धमाल आदि नृत्य होंगे वही शिल्प बाजार दोपहर 12:00 बजे से प्रारंभ होगा एवं कला कार्यशाला दोपहर 2:00 से 4:00 तक लालबाग परिसर में होगी।