परिवहन आरक्षक के पद पर रहते हुए अरबों की संपत्ति अर्जित करने वाले सौरभ शर्मा और उसके बिजनेस पार्टनर व सहयोगी चेतन सिंह गौर और शरद जायसवाल को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने सात दिन की रिमांड पर लिया है। ईडी 17 फरवरी तक तीनों से गहन पूछताछ करेगी।
मंगलवार को ईडी ने विशेष न्यायाधीश संतोष कुमार कोल की अदालत में याचिका दायर कर प्रोटेक्शन वारंट की मांग की थी। अदालत ने केंद्रीय जेल अधीक्षक को आदेश दिया कि तीनों आरोपियों को कोर्ट में पेश किया जाए। इसके बाद पुलिस ने उन्हें अदालत में पेश किया, जहां ईडी ने सात दिन की रिमांड की मांग की। अदालत ने इस अनुरोध को स्वीकार करते हुए तीनों को ईडी की हिरासत में सौंप दिया।
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अब ईडी 52 किलो सोना, 11 करोड़ रुपये नकद और अन्य करोड़ों की संपत्तियों से जुड़े मामलों में तीनों आरोपियों से पूछताछ करेगी।
नकदी और सोने से सौरभ का इंकार
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लोकायुक्त की पूछताछ में सौरभ शर्मा ने नकदी और सोने पर अपना दावा खारिज कर दिया था, जबकि चेतन सिंह गौर ने अपने बयान में कहा था कि इनोवा कार उसके नाम पर पंजीकृत है, लेकिन उसकी किश्तें सौरभ चुकाता था और वाहन का उपयोग भी सौरभ के कार्यालय में होता था।
गौरतलब है कि 18 दिसंबर को लोकायुक्त पुलिस ने सौरभ शर्मा, उसके बिजनेस पार्टनर चेतन सिंह गौर और शरद जायसवाल के ठिकानों पर एक साथ छापेमारी की थी, जो 19 दिसंबर तक जारी रही। इस दौरान तीनों के ठिकानों से करोड़ों रुपये की संपत्ति जब्त की गई थी। इसी बीच, आयकर विभाग की टीम ने भोपाल के पास मेंडोरा गांव से एक कार से 52 किलो सोना और 11 करोड़ रुपये नकद बरामद किए थे।
सौरभ और उसके सहयोगियों के मामले की जांच तीन एजेंसियां—लोकायुक्त, ईडी और आयकर विभाग कर रही हैं। इससे पहले, कोर्ट में पेश किए गए सौरभ शर्मा और उसके साथियों को अदालत ने 17 फरवरी तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया था।