पार्षद कमलेश कालरा के बेटे को निर्वस्त्र करने के मामले में आरोपी बनाए गए पार्षद जीतू यादव शुक्रवार रात जूनी इंदौर थाने पहुंचे। यहां उन्होंने पुलिस को वॉयस सैम्पल दिए। पुलिस की टीम ने उन्हें एसीपी के कार्यालय में बुलाकर करीब तीन घंटे तक अलग-अलग वॉयस सैम्पल्स का रिकॉर्ड किया। इस टेस्ट के बाद पुलिस अब इन सैम्पल्स का मिलान पार्षद कालरा द्वारा दिए गए ऑडियो से करेगी।
एडिशनल डीसीपी आनंद यादव ने बताया कि पहले ही जीतू यादव को जांच में सहयोग करने और वॉयस सैम्पल देने के लिए एक नोटिस दिया गया था। जब वह इसकी अनदेखी करने लगे, तो दूसरा नोटिस उनके घर पर चस्पा किया गया, जिसके बाद वह अपने वकील के साथ थाने पहुंचे। थाने में जीतू यादव से वॉयस सैम्पल्स लेने के लिए पुलिस ने एक विशेष स्क्रिप्ट तैयार की थी। इस स्क्रिप्ट के अनुसार, जीतू ने लगभग 30 से ज्यादा सैम्पल दिए, ताकि उसकी आवाज का सही मिलान किया जा सके। मामले में जीतू यादव को पहले ही पार्टी से निलंबित किया जा चुका है और भाजपा ने उन्हें छह साल के लिए पार्टी से निष्कासित कर दिया है।
क्यों नहीं पकड़ा गया जीतू?
पुलिस ने पहले ही जीतू को पेश होने का नोटिस दे रखा था और शुक्रवार तक उन्हें खुद को पेश करना था। हालांकि, जीतू अपने वकील के साथ शुक्रवार रात को एसीपी जूनी इंदौर कार्यालय पहुंचे। यहां पर उनके कई तरह से आवाज के नमूने लिए गए। इसके बाद वह बिना किसी संकोच के वहां से निकल गए।
जब एसीपी देवेंद्र सिंह धुर्वे ने जीतू से उसकी और पार्षद कमलेश कालरा के बीच की रिकॉर्डिंग सुनवाई, तो उसने उस रिकॉर्डिंग को पहचानने से मना कर दिया। इसके बाद पुलिस ने उसके आवाज के नमूने लिए, लेकिन जीतू ने जानबूझकर अपनी आवाज बदलने की कोशिश की ताकि नमूने और रिकॉर्डिंग में मेल न खाएं।
पुलिस अब डेढ़ महीने तक नहीं करेगी कोई कार्रवाई
आवाज के नमूनों की जांच रिपोर्ट आने में करीब डेढ़ महीने का समय लगता है, इसलिए अब पुलिस को इस मामले में ठोस कदम उठाने के लिए थोड़ा इंतजार करना पड़ेगा। फिलहाल, पुलिस की कार्रवाई धीमी है और जीतू की गिरफ्तारी मुश्किल दिखाई दे रही है, क्योंकि अब तक उसका नाम तक दर्ज नहीं हुआ है।
अब मुख्य आरोपी बनेगा चचेरा भाई
वहीं, पुलिस के लिए यह मामला और भी पेचीदा हो गया है। शनिवार को जीतू का चचेरा भाई अभिलाष उर्फ अवि सामने आया और पुलिस ने उसकी गिरफ्तारी दिखा दी। अब यह स्पष्ट हो गया है कि पुलिस की रणनीति अवि को मुख्य आरोपी बना कर केस को आगे बढ़ाने की है। जीतू की योजना यह है कि वह मुख्य आरोपी न बने और यदि आरोप लगाए भी जाएं, तो वह हल्की धाराओं के तहत होंगे, जिससे वह जल्दी ही जेल से बाहर आ सके और फिर खुद को बेगुनाह साबित कर राजनीति में वापसी कर सके।
सवाल उठाती है पार्षद कमलेश कालरा की टिप्पणी
पार्षद कमलेश कालरा ने सवाल उठाया है कि पुलिस ने आखिर क्यों जीतू को गिरफ्तार नहीं किया और उसे केवल सैंपल लेकर जाने दिया? उन्होंने चेतावनी दी कि यदि पुलिस उसकी गिरफ्तारी नहीं करती, तो वह कोर्ट का रुख करेंगे। यह बात महत्वपूर्ण है क्योंकि 11 जनवरी से गायब हुए जीतू को पुलिस ने 13 दिन बाद पकड़ा है, जबकि पुलिस बार-बार उसे पेश होने के लिए नोटिस भेज रही थी।