जो खुद उसी नियम का कर चुके उल्लंघन, विधायक गोलू शुक्ला के बेटे की जांच उसी अधिकारी के भरोसे

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By Abhishek SinghPublished On: July 23, 2025

श्रावण मास के दूसरे सोमवार को इंदौर से भाजपा विधायक गोलू शुक्ला के पुत्र रुद्राक्ष शुक्ला द्वारा महाकालेश्वर मंदिर के गर्भगृह में जबरन प्रवेश करने का मामला सामने आया। घटना के पश्चात मंदिर प्रशासन ने इस संबंध में जांच की प्रक्रिया प्रारंभ कर दी है।

सोशल मीडिया पर मामले के वायरल होने के बाद मंदिर समिति ने तीन सदस्यीय जांच समिति का गठन किया है, जो पूरे प्रकरण की विस्तृत जांच कर दोषियों के विरुद्ध आवश्यक कार्रवाई करेगी। जानकारी के अनुसार, उस समय विधायक गोलू शुक्ला अपने समर्थकों के साथ मंदिर में मौजूद थे और उन्होंने लगभग पांच मिनट तक पूजन किया। बताया जा रहा है कि गर्भगृह में प्रवेश की अनुमति केवल विधायक शुक्ला को दी गई थी।

सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि जांच समिति में उस अधिकारी को भी शामिल किया गया है, जो पहले स्वयं गर्भगृह में प्रवेश कर नियमों का उल्लंघन कर चुके हैं।

जांच की पारदर्शिता पर उठे सवाल ?

घटना के बढ़ते विवाद के बीच मंदिर प्रशासन ने अगले ही दिन तीन सदस्यों वाली एक जांच समिति का गठन किया। इस समिति में डिप्टी कलेक्टर और महाकाल मंदिर के उप प्रशासक एस.एन. सोनी, सुरक्षा अधिकारी जयंत राठौर तथा नायब तहसीलदार हिमांशु कारपेंटर को बतौर सदस्य शामिल किया गया है।

उधर, तीन सदस्यीय जांच समिति में एक सदस्य ऐसे भी हैं जो घटना के समय प्रोटोकॉल ड्यूटी पर तैनात थे, जबकि अन्य दो सदस्य मंदिर की सुरक्षा व्यवस्था और प्रशासनिक कार्यों के अनुभवी माने जाते हैं। उप प्रशासक एस.एन. सोनी ने स्पष्ट किया कि वे उस दिन राज्यपाल के आगमन संबंधी प्रोटोकॉल ड्यूटी पर थे और उन्होंने किसी भी तरह की चूक या अनियमितता से इनकार किया है।

यह देखना अब गौर करने योग्य होगा कि जांच समिति कितनी पारदर्शिता और निष्पक्षता के साथ अपनी जिम्मेदारी निभाती है, और क्या वह निर्धारित सात दिनों की अवधि में अपनी रिपोर्ट सौंप पाएगी।

जिन पर खुद लगे आरोप, वे अब कर रहे जांच

इस जांच समिति के एक सदस्य, जयंत राठौर, जो कि सेवानिवृत्त पुलिस अधिकारी हैं, को लेकर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। उपलब्ध जानकारी के अनुसार, 1 दिसंबर 2023 को वे महाकाल मंदिर के गर्भगृह में बिना अनुमति के सोला धारण कर पूजा करने पहुंचे थे। यह घटना उस समय विवाद का विषय बनी थी और व्यापक चर्चा में रही थी।

सात दिन में जांच पूरी करने का दावा

मंदिर के सहायक प्रशासक सत्यनारायण सोनी ने जानकारी दी कि घटना का संज्ञान लिया गया है। उनके अनुसार, विधायक गोलू शुक्ला अपने समर्थकों के साथ जल अर्पित करने मंदिर आए थे। इस दौरान उनके पुत्र रुद्राक्ष शुक्ला ने बिना अनुमति गर्भगृह में प्रवेश कर लिया। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, रुद्राक्ष पर कुछ मंदिर कर्मचारियों के साथ अभद्र व्यवहार करने के आरोप भी लगे हैं। मामले की गंभीरता को ध्यान में रखते हुए मंदिर प्रशासन ने तीन सदस्यीय जांच समिति का गठन किया है, जो सात दिनों के भीतर अपनी रिपोर्ट सौंपेगी।

बेटे पर लगे आरोपों को विधायक ने नकारा

इस विवाद पर प्रतिक्रिया देते हुए विधायक गोलू शुक्ला ने स्पष्ट किया कि उन्हें मंदिर प्रशासन से विधिवत अनुमति प्राप्त थी। उन्होंने कहा कि वे बिना अनुमति के कोई कार्य नहीं करते। उनके अनुसार, मंदिर प्रशासक और कलेक्टर द्वारा कुल पांच लोगों को प्रवेश की अनुमति दी गई थी। उन्होंने यह भी बताया कि जब उनके बेटे को एक कर्मचारी ने रोकने का प्रयास किया, तो उसी दौरान हल्की नोकझोंक की स्थिति उत्पन्न हो गई।