आईआईएम इंदौर ने दो महत्वपूर्ण त्रि-पक्षीय समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए हैं। 27 मार्च, 2024 को हस्ताक्षरित ये समझौता ज्ञापन अकादमिक एक्सीलेंस को बढ़ावा देने, अंतर-सांस्कृतिक आदान-प्रदान को प्रोत्साहित करने और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर रिसर्च को प्रेरित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हैं। पहला एमोयू आईआईएम इंदौर, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, इंदौर (आईआईटी इंदौर) और यूनिवर्सिटी ऑफ़ डेनवर के बीच हुआ। इस एमओयू पर आईआईएम इंदौर के निदेशक प्रो. हिमाँशु राय और प्रो. मैरी क्लार्क, डीयू की प्रोवोस्ट और एग्जीक्यूटिव वाईस चांसलर के साथ आईआईटी इंदौर के निदेशक प्रो. सुहास एस जोशी ने भी हस्ताक्षर किए।
प्रो. राय ने आईआईटी इंदौर और आईआईएम इंदौर के बीच लंबे समय से चले आ रहे सहयोग पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि दोनों संस्थान पहले से ही मास्टर ऑफ़ साइंस इन डाटा साइंस एंड मैनेजमेंट कोर्स की पेशकश कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि वर्तमान त्रि-पक्षीय सहयोग एक महत्वपूर्ण प्रगति का प्रतिनिधित्व करता है, विशेष रूप से प्रौद्योगिकी और प्रबंधन विषयों को एकीकृत करने में। “यह सहयोग संयुक्त कार्यक्रमों की पेशकश करने और प्रौद्योगिकी और प्रबंधन के क्षेत्र में अनुसंधान करने के लिए तीन प्रतिष्ठित संस्थानों की विशेषज्ञता को मिश्रित करता है। यह छात्रों को अद्वितीय सीखने के नए अनुभव प्रदान करने और उन्हें वैश्विक कार्यबल की उभरती मांगों के लिए तैयार करने का वादा करता है”, उन्होंने कहा।
![आईआईएम इंदौर दो त्रि-पक्षीय समझौता ज्ञापनों पर किए हस्ताक्षर](https://ghamasan.com/wp-content/uploads/2024/03/WhatsApp-Image-2024-03-27-at-2.44.03-PM.jpeg)
प्रो. क्लार्क ने संयुक्त अनुसंधान प्रयासों और सहयोगी परियोजनाओं के लाभों पर जोर देते हुए साझेदारी की परिवर्तनकारी क्षमता को दोहराया। उन्होंने पुष्टि की, “जॉइंट रिसर्च, स्टूडेंट एक्सचेंज और सहयोगी परियोजनाओं के माध्यम से हमारा लक्ष्य एक जीवंत शैक्षणिक पारिस्थितिकी तंत्र विकसित करना है जो नवाचार और उत्कृष्टता को बढ़ावा देता है।” उन्होंने कहा कि आईआईटी इंदौर और आईआईएम इंदौर की संयुक्त विशेषज्ञता सभी विद्यार्थियों के लिए अत्याधुनिक अनुसंधान में शामिल होने और विविध दृष्टिकोणों से अंतर्दृष्टि प्राप्त करने का एक अनूठा अवसर प्रदान करती है, जिससे अंततः उनकी शैक्षणिक और व्यावसायिक समझ में वृद्धि होगी।
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प्रो. सुहास जोशी ने कहा, “यह सहयोग तीन अग्रणी शैक्षणिक संस्थानों के बीच आपसी समझ और ज्ञान के आदान-प्रदान को बढ़ावा देने के हमारे समर्पण का उदाहरण देता है।” उन्होंने वैश्विक चुनौतियों से निपटने और रिसर्च को वैश्विक स्तर पर बढ़ाने में अंतर-विषयक सहयोग के महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने साझेदारी में आईआईएम इंदौर और डीयू द्वारा लाए गए योगदान और विशेषज्ञता को स्वीकार करते हुए कहा, “अंतःविषय अनुसंधान और ज्ञान-साझाकरण के माध्यम से, हम ऐसे प्रभावशाली समाधान खोजने की आकांक्षा रखते हैं जो बड़े पैमाने पर समाज को लाभान्वित करें।”
दूसरा एमओयू आईआईएम इंदौर, एम्स भोपाल और यूनिवर्सिटी और डेनवर के बीच हुआ। इस पर आईआईएम इंदौर के निदेशक प्रो. हिमांशु राय; प्रो. मैरी क्लार्क, डीयू की प्रोवोस्ट और एग्जीक्यूटिव वाईस चांसलर; और प्रो. डॉ. अजय सिंह, एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर, एम्स भोपाल ने हस्ताक्षर किए। प्रो. राय ने कहा, “यह साझेदारी तीनों संस्थानों की विशेषता का लाभ उठाने और शिक्षा और अनुसंधान में नवाचार को बढ़ावा देने के एक उल्लेखनीय अवसर का प्रतिनिधित्व करती है।” उन्होंने एक चिकित्सा संस्थान के सहयोग से आईआईएम इंदौर के विस्तार के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि यह शिक्षा और चिकित्सा क्षेत्र, दोनों के लिए एक महत्वपूर्ण एमओयू है।
“एम्स भोपाल के साथ जुड़कर, हम प्रबंधन और स्वास्थ्य दोनों क्षेत्रों में रिसर्च करने के लिए तैयार हैं। साथ ही, डीयू के साथ यह सहयोग वैश्विक स्तर पर अभूतपूर्व खोजों को बढ़ावा देने, चिकित्सा प्रबंधन प्रथाओं को बढ़ाने की अपार क्षमता रखता है।” इससे दोनों विषयों के विद्यार्थियों को सीखने के नए अनुभव मिलेंगे” प्रो. राय ने कहा। इसके अतिरिक्त, उन्होंने चिकित्सा प्रबंधन और स्वास्थ्य सेवा नवाचार के क्षेत्रों में ज्ञान के आदान-प्रदान और सहयोगात्मक अनुसंधान परियोजनाओं को सुविधाजनक बनाने के उद्देश्य से शॉर्टटर्म प्रोग्राम्स की योजनाओं का भी ज़िक्र किया। प्रो. क्लार्क ने कहा, “संयुक्त शैक्षिक कार्यक्रमों, अनुसंधान गतिविधियों और संकाय आदान-प्रदान जैसे सहयोगात्मक प्रयासों के माध्यम से, हमारा लक्ष्य भौगोलिक सीमाओं से परे एक गतिशील शिक्षण वातावरण तैयार करना है।”
उन्होंने एमओयू में कौलेबोरेटिव ऑनलाइन इंटरनेशनल लर्निंग (सीओआईएल) परियोजनाओं को शामिल करने पर प्रकाश डाला। इसमें डिजिटल प्लेटफार्मों का लाभ उठाने की बात कही। प्रो. क्लार्क ने संकाय और छात्र आदान-प्रदान के पारस्परिक लाभों पर भी जोर दिया, और कहा कि डीयू वैश्विक परिप्रेक्ष्य के साथ नई अंतर्दृष्टि लाने के लिए उत्सुक है। डॉ. सिंह ने उल्लेख किया कि यह साझेदारी विभिन्न क्षेत्रों की विशेषज्ञता के अभिसरण का प्रतीक है, जो हमें चिकित्सा क्षेत्र में नवीनतम प्रबंधन प्रथाओं को अपनाने में सक्षम बनाती है। उन्होंने एमओयू में उल्लिखित सेमिनारों, कार्यशालाओं और अकादमिक बैठकों में भाग लेने के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि वे ज्ञान-साझाकरण और कौशल विकास के लिए अमूल्य अवसर प्रदान करते हैं।
“यह साझेदारी न केवल अकादमिक सहयोग को मजबूत करती है बल्कि अकादमिक और चिकित्सा क्षेत्रों में अंतर-सांस्कृतिक समझ और नवाचार को भी बढ़ावा देती है”, उन्होंने कहा। उन्होंने शैक्षणिक और चिकित्सा दोनों समुदायों को लाभान्वित करने वाले प्रभावशाली समाधानों को खोजने के लिए संयुक्त अनुसंधान प्रयासों की क्षमता पर भी प्रकाश डाला। ये दोनों एमओयू पांच साल की अवधि के लिए वैध हैं। ये स्थायी साझेदारी को बढ़ावा देने और सहयोग और नवाचार की संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए दीर्घकालिक प्रतिबद्धता का संकेत देते हैं। वे अकादमिक उत्कृष्टता और ज्ञान प्रसार के लिए वैश्विक केंद्र के रूप में खुद को स्थापित करने की आईआईएम इंदौर की रणनीतिक दृष्टि को भी दर्शाते हैं।