मध्यप्रदेश में अब मुख्यमंत्री और मंत्रियों के साथ-साथ सांसदों और विधायकों को भी पुलिस अफसरों और कर्मचारियों को सैल्यूट करना होगा। डीजीपी कैलाश मकवाना ने इस संबंध में आदेश जारी करते हुए कहा कि जनप्रतिनिधियों के साथ शिष्टाचार की कोई कमी नहीं होनी चाहिए।
इसके अलावा, यदि सांसद और विधायक मिलने आएं, तो पुलिस अफसरों को उन्हें प्राथमिकता देते हुए मुलाकात करनी होगी और उनकी बातें सुननी होंगी। यह निर्देश 24 अप्रैल को डीजीपी द्वारा जारी किए गए हैं।

पूर्व आदेशों को संदर्भित करते हुए नए निर्देश
डीजीपी ने सांसदों और विधायकों के सम्मान को लेकर जारी निर्देश में आठ अलग-अलग परिपत्रों का उल्लेख किया है। ये सर्कुलर पुलिस अफसरों के लिए शासन द्वारा 23 जनवरी 2004, 18 मई 2007, 22 मार्च 2011, 24 अक्टूबर 2017, 19 जुलाई 2019, 11 दिसंबर 2019, 12 नवंबर 2021 और 4 अप्रैल 2022 को जारी किए गए थे।
सलामी परेड को लेकर जारी किए गए महत्वपूर्ण निर्देश
चार महीने पहले, पूर्व डीजीपी सुधीर सक्सेना के रिटायरमेंट से ठीक पहले, स्पेशल डीजी शैलेष सिंह द्वारा एक सर्कुलर जारी किया गया था। इस सर्कुलर में 2007 के निर्देश का हवाला देते हुए यह उल्लेख किया गया था- मुख्यमंत्री, मंत्री और अन्य पुलिस अफसरों को सलामी परेड देने की परंपरा खत्म कर दी गई है। सिर्फ राज्यपाल को ही सलामी दी जा सकती है।
यह पत्र सभी रेंज आईजी, डीआईजी और पुलिस अधीक्षकों को भेजा गया था, जिसके कारण पूर्व डीजीपी की सेवानिवृत्ति पर सलामी परेड के बिना ही उनका विदाई समारोह संपन्न हुआ था।
शिष्ट व्यवहार सुनिश्चित करने के निर्देश
डीजीपी ने यह भी निर्देशित किया कि जब सांसदों और विधायकों द्वारा पुलिस अधिकारियों और कर्मचारियों से फोन या मोबाइल के माध्यम से किसी जन समस्या को लेकर संपर्क किया जाए, तो अधिकारियों और कर्मचारियों की जिम्मेदारी होगी कि वे पूरी तवज्जो से उनकी बात सुनें और शिष्टता के साथ उत्तर दें।