नई दिल्ली: चीन के खिलाफ मोदी सरकार को एक और कूटनीतिक जीत मिली है। दरअसल, जापान ने डिफेंस इंटेलिजेंस साझा करने के लिए अपने कानून में बदलाव किया है। इसके तहत अब जापान चीन के खिलाफ भारत के साथ सीक्रेट डील को तैयार हो गया है। जापान अमेरिका के अलावा भारत, ऑस्ट्रेलिया और ब्रिटेन के साथ डिफेंस इंटेलिजेंस साझा करेगा।
जापान के सीक्रेट कानून के दायरे में यह विस्तार पिछले महीने किया गया। इससे पहले जापान केवल अपने निकटतम सहयोगी अमेरिका के साथ ही डिफेंस इंटेलिजेंस साझा करता था, लेकिन अब इस सूची में भारत, ऑस्ट्रेलिया और ब्रिटेन भी शामिल हो गए हैं।
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विदेशी सेना से मिली जानकारी को स्टेट सीक्रेट के रूप में वर्गीकृत करने से संयुक्त अभ्यास और उपकरणों के विकास के लिए समझौतों में मदद मिलेगी। साथ ही चीनी सेना के मूवमेंट के बारे में डेटा साझा करना भी आसान हो जाएगा। जापान का यह कदम उसके लिए भी काफी फायदेमंद होगा, क्योंकि बीजिंग पूर्वी चीन सागर में जापान को लगातार परेशान कर रहा है और उसके लिए चीन की गतिविधियों पर अपने दम पर नजर रखना कठिन हो गया है।
इधर, पूर्वी चीन सागर में चीनी गतिविधियों में हाल के वक्त में काफी तेजी आई है। जापान के शासन वाले सेंकाकू टापू के आसपास चीन के कोस्ट गार्ड शिप चक्कर काटते रहते हैं। चीन इस द्वीप को दियाऊ करार देकर उस पर अपना दावा ठोकता है। गुरुवार को लगातार 80वें दिन चीनी जहाज यहां पहुंचे थे। सीक्रेट कानून में बदलाव के तहत जापान ने भारत, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया और फ्रांस के साथ ऐसे समझौतों पर हस्ताक्षर किये हैं, जो दोनों पक्षों को वर्गीकृत रक्षा जानकारी को गुप्त रखने के लिए बाध्य करते हैं। सभी देश डेटा लीक होने के खतरे को कम करते हुए एक-दूसरे से डिफेंस जानकारी साझा करेंगे।