Indore का यह मुसलमान बन गया हिंदू, पहलगाम हमले से था दुखी, मंदिर में सुंदरकांड पाठ भी करवाया

इंदौर का यह मुसलमान बन गया हिंदू, पहलगाम हमले से था दुखी, मंदिर में सुंदरकांड पाठ भी करवाया।

sudhanshu
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मध्य प्रदेश के इंदौर में एक अनोखी घटना ने सबका ध्यान खींचा, जहाँ कुलकर्णी नगर के श्यामलाल निनोरी ने पहलगाम आतंकी हमले से दुखी होकर अपनी मुस्लिम पहचान छोड़कर हिंदू धर्म अपना लिया। पहलगाम हमले के बाद हिंदू धर्म अपनाया की यह कहानी तब और चर्चा में आई, जब श्यामलाल ने ग्वालियर ऑयल मिल परिसर की सैयद निजामुद्दीन दरगाह पर कव्वाली की जगह सुंदरकांड पाठ और भंडारा आयोजित करवाया। यह बदलाव उनके 40 साल के दरगाह सेवा के इतिहास को एक नया मोड़ देता है।

पहलगाम हमले ने बदला जीवन: शाहबुद्दीन से श्यामलाल तक का सफर

24 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 पर्यटकों की मौत ने पूरे देश को झकझोर दिया। इस हमले से आहत श्यामलाल, जिन्हें स्थानीय लोग शाहबुद्दीन के नाम से जानते थे, ने फैसला किया कि वह अब हिंदू धर्म अपनाएँगे। श्यामलाल ने बताया, “मैंने 40 साल तक दरगाह की सेवा की, लेकिन पहलगाम की घटना ने मुझे यह सोचने पर मजबूर किया कि मैंने अपनी असली पहचान खो दी थी।” उन्होंने हिंदू रीति-रिवाजों के साथ धर्म परिवर्तन किया और दरगाह परिसर में सुंदरकांड पाठ का आयोजन करवाया, जिसमें सैकड़ों लोग शामिल हुए।

दरगाह पर सुंदरकांड पाठ करने से लिखा गया एक नया इतिहास

ग्वालियर ऑयल मिल की जमीन पर बनी सैयद निजामुद्दीन दरगाह पर हर साल कव्वाली का आयोजन होता था, लेकिन इस बार श्यामलाल ने इसे बदलकर हनुमान चालीसा और सुंदरकांड पाठ का कार्यक्रम रखा। X पर एक यूजर ने लिखा, “इंदौर में दरगाह में हनुमान चालीसा की गूँज और भंडारा, यह बदलाव प्रेरणादायक है।” इस आयोजन में स्थानीय हिंदू और मुस्लिम समुदाय के लोग शामिल हुए, जिसने सामाजिक एकता का संदेश दिया। श्यामलाल ने कहा, “मैं अब कव्वाली नहीं करवाऊँगा, बल्कि हर साल सुंदरकांड पाठ होगा।”

पहलगाम हमला और श्यामलाल का दुख

पहलगाम के बैसारन मीडो में हुए आतंकी हमले में आतंकियों ने पर्यटकों से उनकी धार्मिक पहचान पूछकर गोलियाँ चलाई थीं। इंदौर के सुशील नाथनियल भी इस हमले में मारे गए, और उनकी बेटी आकांक्षा घायल हुई। इस घटना ने श्यामलाल को गहरे तक प्रभावित किया। उन्होंने कहा, “ऐसी हिंसा का कोई धर्म नहीं होता, लेकिन मैं अपनी जड़ों की ओर लौटना चाहता था।” उनकी यह भावना X पर वायरल हो गई, जहाँ @BeingArun28 ने पोस्ट किया, “स्वागतम् श्यामलाल भाई, यह सच्ची घर वापसी है।”

क्या कहता है कानून और सामाजिक पहलू

जिला प्रशासन ने पुष्टि की कि श्यामलाल का धर्म परिवर्तन स्वेच्छा से हुआ, और इसमें कोई दबाव नहीं था। मध्य प्रदेश धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम 2021 के तहत, धर्म परिवर्तन की प्रक्रिया को पारदर्शी रखा गया। स्थानीय लोगों ने इस बदलाव का स्वागत किया, और कई ने इसे सामुदायिक एकता का प्रतीक बताया। श्यामलाल ने भविष्य में दरगाह को एक सामाजिक केंद्र के रूप में विकसित करने की योजना बनाई है, जहाँ सभी धर्मों के लोग एक साथ आ सकें।

पहलगाम हमले के बाद हिंदू धर्म अपनाया की यह कहानी न केवल व्यक्तिगत विश्वास की जीत है, बल्कि यह सामाजिक बदलाव और एकता का भी प्रतीक है। श्यामलाल का यह कदम उन लोगों के लिए प्रेरणा है, जो अपनी पहचान और विश्वास को पुनर्जनन करना चाहते हैं। यह आयोजन और उनकी कहानी भविष्य में भी चर्चा में रहेगी।