भारत ने न्यूक्लियर पावर के लिए उठाया बड़ा कदम, चीन-पाकिस्तान हैरान, AEC की पीएम मोदी और अजीत डोभाल ने संभाली कमान

भारत सरकार ने हाल ही में परमाणु ऊर्जा आयोग (एईसी) का पुनर्गठन किया है। इस आयोग में नई नियुक्तियों के साथ-साथ परमाणु ऊर्जा क्षेत्र में भारत की नीति और प्रगति के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाए गए हैं। यह पुनर्गठन भारत की परमाणु ऊर्जा क्षमताओं को मजबूत करने और वैश्विक सहयोग को बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।

एईसी का नया स्वरूप: कौन-कौन हुआ शामिल?

पुनर्गठित परमाणु ऊर्जा आयोग के अध्यक्ष के रूप में परमाणु ऊर्जा विभाग के सचिव अजीत कुमार मोहंती ने पदभार संभाला है। इसके साथ ही, कई अन्य प्रमुख अधिकारियों को इस आयोग में जगह दी गई है:

  1. पदेन सदस्य:
    • राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल
    • प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव प्रमोद कुमार मिश्रा
    • विदेश सचिव विक्रम मिस्री
    • व्यय सचिव टीवी सोमनाथन
    • वित्त सचिव मनोज गोविल
  2. अन्य सदस्य:
    • एईसी के पूर्व अध्यक्ष एम आर श्रीनिवासन और अनिल काकोदकर
    • विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के पूर्व सचिव पी. रामाराव
    • पूर्व प्रमुख सलाहकार (डीएई) रवि बी. ग्रोवर
    • अंतरिक्ष आयोग के पूर्व अध्यक्ष के. कस्तूरीरंगन
    • भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (बीएआरसी) के निदेशक विवेक भसीन

AEC की भूमिका

परमाणु ऊर्जा आयोग (एईसी) का मुख्य कार्य परमाणु ऊर्जा विभाग के लिए नीतियां तैयार करना और इस क्षेत्र में भारत को आत्मनिर्भर बनाना है। यह आयोग न केवल राष्ट्रीय सुरक्षा, बल्कि ऊर्जा उत्पादन और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

भारत-अमेरिका के बीच परमाणु सहयोग में बड़ा कदम

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पुनर्गठन के साथ ही, भारत-अमेरिका के परमाणु सहयोग को नया आयाम देने के लिए महत्वपूर्ण घटनाक्रम सामने आए हैं। अमेरिकी सरकार ने भारतीय परमाणु संस्थानों पर लगे पुराने प्रतिबंधों को हटाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। यह कदम दोनों देशों के बीच ऊर्जा क्षेत्र में साझेदारी को मजबूत करने और 20 साल पुराने ऐतिहासिक परमाणु समझौते को गति देने की दिशा में उठाया गया है।

जैक सुलिवन की घोषणा: प्रतिबंध हटाने की प्रक्रिया शुरू

नई दिल्ली में अपनी यात्रा के दौरान, अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जैक सुलिवन ने घोषणा की कि अमेरिका उन नियमों और प्रतिबंधों को हटा रहा है, जो भारत और अमेरिकी कंपनियों के बीच नागरिक परमाणु सहयोग में बाधा डाल रहे थे। उन्होंने कहा कि जल्द ही इन प्रक्रियाओं को औपचारिक रूप दिया जाएगा।

परमाणु ऊर्जा क्षेत्र में नए अवसर

इस कदम से भारत और अमेरिका के बीच परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में नए अवसर खुलने की संभावना है। यह साझेदारी न केवल दोनों देशों के आर्थिक और तकनीकी संबंधों को मजबूत करेगी, बल्कि भारत के ऊर्जा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता और हरित ऊर्जा लक्ष्यों को प्राप्त करने में भी सहायक होगी।