भारत की सुरक्षा को लेकर एक गंभीर चेतावनी सामने आई है। चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) जनरल अनिल चौहान ने हाल ही में कहा कि भारत को बाहरी और भीतरी दोनों तरह के खतरों का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने खासतौर पर चीन, पाकिस्तान और बांग्लादेश के बीच बनते गठजोड़ को देश की स्थिरता के लिए एक बड़ा खतरा बताया। इस बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए वायुसेना के रिटायर्ड विंग कमांडर प्रफुल्ल बख्शी ने भी गुरुवार को चिंता जाहिर की और कुछ अहम बिंदुओं पर खुलकर बात की।
चीन कर रहा है हथियारों की सप्लाई, भारत पर बन रहा है दबाव

प्रफुल्ल बख्शी के अनुसार, चीन ने पाकिस्तान और बांग्लादेश के साथ सैन्य साझेदारी मजबूत कर ली है। चीन ने मिग-21 विमान की नकल कर एफ-7 विमान तैयार किया है, जिसे पाकिस्तान, बांग्लादेश और श्रीलंका तक को सप्लाई किया गया। यह सीधे तौर पर भारत की सैन्य स्थिति को कमजोर करने की रणनीति है। उन्होंने कहा कि अगर भारत पाकिस्तान से संघर्ष करता है तो चीन बांग्लादेश को भारत के खिलाफ खड़ा कर सकता है। इस तरह भारत को तीन तरफा (थ्री-फ्रंट) खतरे का सामना करना पड़ सकता है।
सिलीगुड़ी कॉरिडोर पर बांग्लादेश की नजर, भारत को रहना होगा सतर्क
प्रफुल्ल बख्शी ने यह भी बताया कि बांग्लादेश के अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस पहले ही सिलीगुड़ी कॉरिडोर को लेकर दावा कर चुके हैं। यह भारत के लिए एक रणनीतिक और संवेदनशील इलाका है जो नॉर्थ ईस्ट को शेष भारत से जोड़ता है। अगर इस कॉरिडोर पर खतरा आता है, तो भारत के लिए नॉर्थ ईस्ट का संपर्क टूट सकता है, जो एक बड़ी सैन्य और रणनीतिक चुनौती होगी।
इस्लाम के नाम पर हो रही है नजदीकी, बांग्लादेश बन सकता है अगला खतरा
बख्शी ने यह भी कहा कि पाकिस्तान और बांग्लादेश के बीच इस्लामिक एकता के नाम पर रिश्ते गहरे हो रहे हैं। उन्होंने चेतावनी दी कि बांग्लादेश धर्म के नाम पर भारत के खिलाफ कोई भी कदम उठा सकता है। उन्होंने यह भी दावा किया कि बांग्लादेश में हिंदुओं पर लगातार हमले हो रहे हैं और यह भारत की सामाजिक और सामरिक सुरक्षा के लिए खतरे का संकेत है।
डीआरडीओ की नई तोप प्रणाली – भारत की सैन्य ताकत में नई छलांग
रिटायर्ड विंग कमांडर ने डीआरडीओ की हालिया उपलब्धि की भी तारीफ की। उन्होंने कहा कि भारत का पहला माउंटेड गन सिस्टम (Mounted Gun System) रक्षा क्षेत्र में एक बड़ा मील का पत्थर है। यह प्रणाली 45 से 48 किलोमीटर दूर तक सटीक हमला करने में सक्षम है। युद्ध के दौरान तेजी से पोजिशन बदलने में सक्षम यह तोप दुश्मन के लोकेशन ट्रैक को भी भ्रमित कर सकती है। पहले भारत ऐसी तकनीक के लिए विदेशी सप्लायर्स पर निर्भर था, लेकिन अब देश में बनी यह प्रणाली आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक अहम कदम है।