पुणे में गुइलेन-बैरे सिंड्रोम का बढ़ता खतरा! अब तक 73 मामले, जानें क्यों तेजी से फैल रही है यह बीमारी?

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पुणे में गुइलेन-बैरे सिंड्रोम (GBS) के मामलों में तेजी से वृद्धि हो रही है। पिछले एक सप्ताह में 20 नए मामलों की पुष्टि होने के बाद कुल मरीजों की संख्या 73 हो गई है, जिनमें 47 पुरुष और 26 महिलाएं शामिल हैं। इनमें से 14 मरीजों की हालत गंभीर है और उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया है। ऐसे में पुणे में स्थिति की गंभीरता को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग ने अपनी तैयारियों को और तेज कर दिया है, और अस्पतालों को अलर्ट कर दिया गया है। अब अस्पताल मरीजों के ब्लड सैंपल्स सीधे भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (NIV) को भेज रहे हैं।

स्वास्थ्य विभाग ने रैपिड रिस्पॉन्स टीम का गठन किया

स्वास्थ्य विभाग ने स्थिति पर काबू पाने के लिए रैपिड रिस्पॉन्स टीम (RRT) का गठन किया है। यह टीम पुणे और इसके आसपास के इलाकों में मरीजों को तुरंत अस्पतालों में भर्ती करवाने का काम कर रही है। इसके अलावा, स्वास्थ्य अधिकारियों ने पुणे शहर और ग्रामीण इलाकों में 7,500 से ज्यादा घरों का सर्वे किया है। इस दौरान, लोगों को गुइलेन-बैरे सिंड्रोम के बचाव के उपाय भी बताए जा रहे हैं।

क्या है गुइलेन-बैरे सिंड्रोम और क्यों फैल रहा है?

गुइलेन-बैरे सिंड्रोम (GBS) एक रेयर न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर है, जिसमें इम्यून सिस्टम शरीर की नर्वस सिस्टम को अपना निशाना बना लेता है। इससे हाथ-पैरों में कमजोरी और झुनझुनी की समस्या पैदा होती है, और कई बार मरीज को उठना या बैठना भी मुश्किल हो जाता है।

वहीं, पुणे में अचानक से इस बीमारी के मामलों में इजाफा होने से स्वास्थ्य विभाग यह जांचने में जुटा हुआ है कि क्या यह बीमारी पानी के कारण फैल रही है। हालांकि, अभी तक इसके बारे में कोई स्पष्ट जानकारी नहीं मिल पाई है। इस बीमारी को सामान्यतः रेयर माना जाता है, लेकिन पुणे में इसके मामलों में अचानक से वृद्धि हो रही है, जिससे स्वास्थ्य अधिकारियों के बीच चिंता का माहौल बना हुआ है।

स्वास्थ्य विभाग की निगरानी और सर्वेक्षण जारी

स्वास्थ्य विभाग ने आरआरटी (रैपिड रिस्पॉन्स टीम) के तहत शहर और ग्रामीण क्षेत्रों में सक्रिय निगरानी शुरू कर दी है। अब तक चिंचवड में 1,750 घरों और आसपास के 3,522 ग्रामीण इलाकों में सर्वेक्षण किया जा चुका है। इस दौरान विभाग यह समझने की कोशिश कर रहा है कि क्या गुइलेन-बैरे सिंड्रोम फैलने का कारण कुछ खास तत्व जैसे कि पानी या अन्य कोई वातावरणीय प्रभाव हो सकता है।

गुइलेन-बैरे सिंड्रोम: एक रेयर और खतरनाक बीमारी

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक, गुइलेन-बैरे सिंड्रोम एक रेयर न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर है, जिसमें शरीर का इम्यून सिस्टम पेरिफेरल नर्वस सिस्टम पर हमला करता है। इस बीमारी के कारण मांसपेशियों में कमजोरी, हाथों और पैरों में झुनझुनी, सांस लेने में दिक्कत और निगलने में परेशानी जैसी समस्याएं उत्पन्न होती हैं।

पुणे में बढ़ते मामलों को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग ने फिलहाल स्थिति को नियंत्रण में रखने के लिए सभी जरूरी कदम उठा लिए हैं। फिलहाल जांच जारी है कि इस सिंड्रोम के अचानक फैलने की वजह क्या है, और इसके प्रभाव को कैसे कम किया जा सकता है।

क्या करें और कैसे बचें?

स्वास्थ्य अधिकारियों ने लोगों से अपील की है कि वे इस सिंड्रोम के बारे में जागरूक रहें और जरूरी एहतियात बरतें। खासकर, गुइलेन-बैरे सिंड्रोम के लक्षण दिखाई देने पर तुरंत चिकित्सक से संपर्क करें। इसके अलावा, स्वच्छता का पालन करना और बीमारियों से बचाव के उपायों को अपनाना बेहद जरूरी है।