सरकार का बड़ा फैसला, स्कूल और कॉलेजों की निति में हुए बदलाव

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By Akanksha JainPublished On: July 29, 2020
PM narendra modi

नई दिल्ली: बुधवार को कैबिनेट की बैठक में मोदी सरकार ने शिक्षा नीति पर फैसला किया है। साथ ही कैबिनेट बैठक में लिए गई फैसलों की जानकारी केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में देते हुए कहा कि पीएम मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में नई शिक्षा नीति को मंजूरी दी गई है। 34 साल से शिक्षा नीति में परिवर्तन नहीं हुआ था। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि सरकार ने शिक्षा नीति को लेकर 2 समितियां बनाई थीं। एक टीएसआर सुब्रमण्यम समिति और दूसरी डॉ. के कस्तूरीरंगन समिति बनाई गई थी।

सरकार बताया कि नई नीति को लेकर एक व्यापक चर्चा की गई है। 2.5 लाख ग्राम पंचायतों, 6600 ब्लॉक्स, 676 जिलों से सलाह ली गई। लोगों की सलाह ली गई कि आप नई नीति में क्या बदलाव चाहते हैं। उच्च शिक्षा में हम 2035 तक ग्रॉस एनरोलमेंट रेशियो में 50 फीसदी तक पहुंचेंगे. इसके लिए मल्टीपल एंट्री और एग्जिट सिस्टम लाई जा रही है। साथ ही बताया कि आज की व्यवस्था में 4 साल इंजीनियरिंग पढ़ने के बाद या 6 सेमेस्टर पढ़ने के बाद अगर कोई छात्र आगे नहीं पढ़ सकता है तो उसके पास कोई उपाय नहीं है। छात्र आउट ऑफ द सिस्टम हो जाता है। नए सिस्टम में ये रहेगा कि एक साल के बाद सर्टिफिकेट, दो साल के बाद डिप्लोमा, तीन या चार साल के बाद डिग्री मिल सकेगी।

उन्होंने बताया कि मल्टीपल एंट्री थ्रू बैंक ऑफ क्रेडिट के तहत छात्र के फर्स्ट, सेकंड ईयर के क्रेडिट डिजीलॉकर के माध्यम से क्रेडिट रहेंगे। जिससे कि अगर छात्र को किसी कारण ब्रेक लेना है और एक फिक्स्ड टाइम के अंतर्गत वह वापस आता है तो उसे फर्स्ट और सेकंड ईयर रिपीट करने को नहीं कहा जाएगा। छात्र के क्रेडिट एकेडमिक क्रेडिट बैंक में मौजूद रहेंगे। ऐसे में छात्र उसका इस्तेमाल अपनी आगे की पढ़ाई के लिए करेगा। सरकार ने बताया कि मौजूदा शिक्षा नीति के तहत फिजिक्स ऑनर्स के साथ केमिस्ट्री, मैथ्स लिया जा सकता है। इसके साथ फैशन डिजाइनिंग नहीं ली जा सकती थी। लेकिन नई नीति में मेजर और माइनर की व्यवस्था होगी। जो मेजर प्रोग्राम हैं उसके अलावा माइनर प्रोग्राम भी लिए जा सकते हैं। इसके दो फायदे होंगे। आर्थिक या अन्य कारण से जो लोग ड्रॉप आउट हो जाते हैं वो वापस सिस्टम में आ सकते हैं। इसके अलावा जो अलग-अलग विषयों में रूचि रखते हैं, जैसे जो म्यूजिक में रूचि रखते हैं, लेकिन उसके लिए कोई व्यवस्था नहीं रहती है। नई शिक्षा नीति में मेजर और माइनर के माध्यम से ये व्यवस्था रहेगी।

बता दे कि मानव संसाधन मंत्रालय को फिर से शिक्षा मंत्रालय के नाम से जाना जाएग, साल 1985 में इसका नाम बदलकर मानव मंत्रालय नाम दिया था। पहले मंत्रालय का नाम शिक्षा मंत्रालय ही था।

साथ ही नै शिक्षा निति में स्कूल शिक्षा में 10+2 के फॉर्मेट को ख़तम कर दिया है। फॉर्मेट अब 5+3+3+4 में डाला गया है। जिसका मतलब है कि अब स्कूल के पहले पांच साल में प्री-प्राइमरी स्कूल के तीन साल और कक्षा 1 और कक्षा 2 सहित फाउंडेशन स्टेज शामिल होंगे। फिर अगले तीन साल को कक्षा 3 से 5 की तैयारी के चरण में विभाजित किया जाएगा। इसके बाद में तीन साल मध्य चरण (कक्षा 6 से 8) और माध्यमिक अवस्था के चार वर्ष (कक्षा 9 से 12) होंगे। साथ ही नई निति के तहत 5वीं तक के छात्रों को मातृ भाषा, स्थानीय भाषा और राष्ट्र भाषा में ही पढ़ाया जाएगा, विषय चाहे अंग्रेजी ही क्यों न हो, वह सिर्फ एक सब्जेक्ट के रूप में पढ़ाया जायेगा। सरकार ने यह भी तय किया है कि अब से केवल 12 वीं बोर्ड परीक्षा होगी, पहले 10वीं बोर्ड की परीक्षा देना अनिवार्य होता था, जो अब नहीं होगा।

वही नई निति के तहत कॉलेज की डिग्री 3 और 4 साल की होगी। निति के तहत ग्रेजुएशन के पहले साल पर सर्टिफिकेट, दूसरे साल पर डिप्‍लोमा, तीसरे साल में डिग्री मिलेगी। साथ ही 3 साल की डिग्री उन छात्रों के लिए है जिन्हें हायर एजुकेशन नहीं लेना है। हायर एजुकेशन करने वाले छात्रों को 4 साल की डिग्री करनी होगी। 4 साल की डिग्री करने वाले स्‍टूडेंट्स एक साल में  MA कर सकेंगे। वही अब स्‍टूडेंट्स को  MPhil नहीं करना होगा, बल्कि MA के छात्र अब सीधे PHD कर सकेंगे।