उदयपुर फाइल्स पर दिल्ली HC के आदेश का स्वागत, मौलाना अरशद मदनी का बड़ा बयान

Saurabh Sharma
Published:
उदयपुर फाइल्स पर दिल्ली HC के आदेश का स्वागत, मौलाना अरशद मदनी का बड़ा बयान

‘उदयपुर फाइल्स’ फिल्म को लेकर चल रहे विवाद पर दिल्ली हाईकोर्ट में बुधवार को सुनवाई हुई। यह याचिका जमीयत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी की ओर से दायर की गई थी। वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने मुख्य न्यायाधीश देवेंद्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति अनीश दयाल की पीठ के सामने याचिकाकर्ता की ओर से दलीलें रखीं। याचिका में कहा गया कि यह फिल्म मुस्लिम समुदाय को गलत तरीके से दिखाती है और समाज में नफरत फैलाने का काम कर सकती है।

‘फिल्म में आपत्तिजनक दृश्य हैं’ – कपिल सिब्बल

सुनवाई के दौरान वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कोर्ट को बताया कि फिल्म में ऐसे दृश्य हैं जो मुस्लिम समुदाय को नकारात्मक रूप में पेश करते हैं। उन्होंने कहा कि यह फिल्म न सिर्फ समुदाय विशेष की धार्मिक भावनाओं को आहत करती है, बल्कि इससे समाज में धार्मिक कट्टरता को भी बढ़ावा मिल सकता है। सिब्बल ने कोर्ट से गुजारिश की कि ऐसी फिल्मों को सार्वजनिक मंच पर दिखाना संविधान के मूल मूल्यों के खिलाफ है।

सेंसर बोर्ड की सफाई – विवादित दृश्य हटा दिए गए हैं

सेंसर बोर्ड की तरफ से पेश वकील ने कोर्ट को बताया कि फिल्म में से उन सभी दृश्यों को हटा दिया गया है जो आपत्तिजनक माने जा रहे थे। उन्होंने दावा किया कि अब फिल्म में ऐसा कुछ भी नहीं बचा है जिससे किसी भी धर्म या समुदाय की भावनाओं को ठेस पहुंचे। सेंसर बोर्ड ने यह भी स्पष्ट किया कि वे कोर्ट के निर्देशों का पालन करने को तैयार हैं और फिल्म निर्माताओं ने आपत्तियों को गंभीरता से लिया है।

कोर्ट का निर्देश – याचिकाकर्ता को दिखाई जाए पूरी फिल्म

मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का मतलब यह नहीं कि किसी समुदाय की धार्मिक भावनाएं आहत हों। कोर्ट ने निर्देश दिया कि याचिकाकर्ता के वकीलों को पूरी फिल्म की स्क्रीनिंग करवाई जाए ताकि यह तय किया जा सके कि फिल्म में अब भी कोई आपत्तिजनक हिस्सा बचा है या नहीं। इस मामले की अगली सुनवाई गुरुवार को होगी।

मौलाना अरशद मदनी ने जताया संतोष

सुनवाई के बाद मौलाना अरशद मदनी ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि कोर्ट की प्रक्रिया संतोषजनक रही। उन्होंने कहा कि सेंसर बोर्ड और फिल्म निर्माता दोनों ने जमीयत की आपत्तियों को समझा और जरूरी बदलाव किए। उन्होंने उम्मीद जताई कि स्क्रीनिंग के बाद कोर्ट ऐसा फैसला सुनाएगा जिससे संविधान की गरिमा बनी रहे और देश के हर धर्म और समुदाय की भावनाओं का सम्मान हो।