देशभर में CAA लागू : क्यों जरूरी है? किस पर पड़ेगा असर और कैसे मिलेगी नागरिकता, जानिए पूरी डिटेल

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By Ravi GoswamiPublished On: March 12, 2024

केंद्र सरकार ने देशभर में नागरिक संशोधन कानून सीएए को देशभर में लागू कर दिया है। जिसको लेकर देर रात सरकार के गजट में जारी किया गया है। बता दें यक कानून सबसे पहले मोदी सरकार साल 2016 में लोकसभा में पेश किया था। हालांकि बाद में 2019 में लोकसभा और राज्यसभा दोनों जगह पारित हो गया था। वहीं इसको लेकर दिल्ली सहित देशभर में अल्प संख्यकों ने विरोध प्रदर्शन किया था। हालांकि इसकी जानाकरी ना होने के कारण यह प्रदर्शन नही हुए थे। चलिए आपको बतातें है।

आपको बता दें सीएए देशभर में लागू होने के बाद अब बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से आए गैर मुस्लिम अल्पसंख्यकों को भारतीय नागरिकता मिलने का रास्ता साफ हो गया है.बता दें ऐसे देश जहां गैर मुस्लिमों को अपनी सुरक्षा, धर्म परिवर्तन ,उत्पीड़न जैसी समस्याओं से जूझ रहे थे। अब भारत में उनको नागरिकता मिल जाएगी । इससे इन मुस्लिम देशों के अल्पसंख्यक समुदायों को फायदा होगा जिनमें हिन्दू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई शामिल हैं।

भारतीय नागरिकों पर सीएए का होगा यह असर
केदं्र सरकार के अपने बयान के अनुसार अपने बयान में कहा है कि सीएए के जरिए मिलने वाली नागिरकत वन-टाइम बेसिस पर ही होगी. यानी कि 31 दिसम्बर,2014 के बाद गैर-कानूनी तरीके से पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से भारत आए गैर-मुस्लिम अल्पसंख्यकों को नागरिकता नहीं दी जाएगी. इस कानून के अमल में आने के बाद भारत के किसी भी नागरिक दृ चाहें वो किसी भी धर्म का हो उसकी नागरिकता को कोई प्रभाव नहीं होगा.

गैर-मुस्लिम अल्पसंख्यकों को ही नागरिकता क्यों मिल रही है?
दरअसल मुस्लिम बहुल पड़ोसी देशों से बड़े पैमाने पर अल्पसंख्यकों के साथ प्रताड़ना भेदभाव हुआ है । 1947 में पाकिस्तान में अल्पसंख्यक, ज्यादातर हिंदू और सिख, आबादी का लगभग 23 प्रतिशत थे; आज वो लगभग 5 प्रतिशत हैं. इसी तरह अन्य देशों में हुआ है। जबकि भारत में अल्पसंख्यकों की संख्या दोगुना हुई है. इसी लिए यह कानून आया है।

अमित शाह ने बताया था ‘आशा की नई किरण’
आपको बता दें 2019 में राज्यसभा में बिल पेश करते समय केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सीएए को ‘आशा की एक नई किरण’ बताया था. उन्होंने कहा, ‘नागरिकता (संशोधन) विधेयक 2019 हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदायों के उन लोगों को आशा की एक नई किरण देगा जो पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश में धर्म के आधार पर उत्पीड़न का सामना करने के बाद भारत आ गए हैं.