365 दिन में 1825 रूपों में दर्शन देते हैं बाबा महाकाल

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By Ayushi JainPublished On: January 11, 2022

उज्जैन : विश्व में अकेले राजा महाकाल ही है, जो भक्तों को नित नूतन और अभिनव रूपों में दर्शन देते है। कभी प्राकृतिक रूप में तो कभी राजसी रूप में आभूषण धारण कर लेते है। कभी भांग, कभी चंदन और सूखे मेवे से तो कभी फल और पुष्प से बाबा को श्रृंगारित किया जाता है।

राजाधिराज महाकाल अपने भक्तों को 365 दिन में 1825 रूपों में दर्शन देते हैं। दर्शन देने का यह सिलसिला प्रतिदिन भस्मारती से शुरू होकर शयन आरती तक चलता हैं। मंदिर में होने वाली पांच आरतियों में बाबा को अलग– अलग रूप में श्रृंगारित किया जाता है। बारह ज्योर्तिलिंग में से श्री महाकालेश्वर मंदिर विश्व का पहला ऐसा मंदिर है जहां प्रतिदिन पांच आरती होती हैं।

ये है बाबा के श्रृंगारित होने का समय

भस्मारती

बारह ज्योर्तिलिंग में सिर्फ उज्जैन के महाकाल को ही भस्म रमाई जाती है। यह विश्व का एक मात्र मंदिर है जहां तड़के 4 बजे बाबा को हरिओम जल से स्नान करवाया जाता हैं, इसके बाद अघोर मंत्र से भस्म रमाकर श्रृंगार किया जाता है। तड़के 4 बजे से 6 बजे तक होने वाली इस आरती में देश दुनिया के लोग दर्शन करने मंदिर पहुंचते है।

दद्योदक आरती

भस्मारती के बाद सुबह 7.30 बजे बाबा महाकाल की दद्योदक आरती की जाती है। इस आरती में मंदिर के शासकीय पुजारी भगवान महाकाल का आकर्षक श्रृंगार कर दही चावल का भोग लगाते है।

भोग आरती

महाकाल बाबा को प्रतिदिन सुबह 10.30 बजे भोग लगाया जाता है। मंदिर में पुजारी परिवार की ओर से पहले बाबा का आकर्षक श्रृंगार किया जाता है, इसके बाद मंदिर समिति की ओर तैयार किए गया भोग महाकाल का अर्पित किया जाता है। इसके बाद समिति द्वारा संचालित अन्नक्षेत्र में श्रद्धालुओं को भोजन मिलता है।

संध्या आरती

मंदिर में होने वाली चौथी आरती संध्या आरती होती हैं। शाम 7.30 बजे होने वाल इस आरती को संध्या आरती कहा जाता है। आरती के पूर्व शाम 4.30 बजे पुजारी बाबा का आकर्षक श्रृंगार करते है। इसके बाद शाम 5.30 बजे संध्या पूजन किया जाता है। पूजन के ठीक दो घंटे बाद बाबा की संध्यारती की जाती है।

शयन आरती

19 घंटे दर्शन के बाद बाबा शयन आरती के साथ ही विश्राम की ओर प्रस्थान करते हैं। संध्याआरती के बाद बाबा महाकाल को 10.30 बजे शयन आरती शुरू की जाती हैं। 30 मिनट की इस आरती के साथ ही बाबा को गुलाब के फूलों से श्रृंगारित किया जाता है। आरती के बाद बाबा शयन करते है। वहीं अगले दिन सुबह 4 बजे बाबा अपने भक्तों को दर्शन देने के लिए जाग उठते हैं।

तीन किलो भांग से श्रृंगार

राजाधिराज महाकाल की संध्याआरती में प्रतिदिन तीन किलो भांग से श्रृंगार किया जाता है। बाबा को मंदिर समिति के पुजारी संध्या पूजन के पूर्व भांग से श्रृंगारित करते हैं। इतना ही नहीं बाबा को प्रतिदिन आधा किलो सुखे मेवे से आकर्षक श्रृंगार किया जाता है !