काशी के इस घाट पर रंग-गुलाल से नहीं, चिता की राख और भस्म से खेली जाती है होली, जानिए क्या है मान्यता

Deepak Meena
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काशी अपनी अनोखी परंपराओं और संस्कृति के लिए जाना जाता है। यहाँ होली का त्यौहार भी एक अनोखे तरीके से मनाया जाता है। मणिकर्णिका घाट पर चिता की राख और भस्म से होली खेली जाती है, जिसे मसान होली के नाम से जाना जाता है।

बाबा मसाननाथ के नाम से पूजा जाने वाले भगवान शिव को समर्पित यह होली काशी के लोगों के लिए विशेष महत्व रखती है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इसी दिन भगवान शिव माता पार्वती को विवाह के बाद उन्हें अपने साथ इसी धाम पर लेकर आए थे।

जिसके बाद भगवान शिव ने भूत, प्रेत, पिशाच, निशाचर और गणों के साथ भस्म वाली होली खेली थी। तभी से इस दिन को यादगार बनाने के लिए प्रत्येक वर्ष मसान होली खेली जाती है।

बता दें कि, मसान होली दो दिन तक मनाया जाता है। पहले दिन लोग चिता की राख को एकत्रित करते हैं और दूसरे दिन होली खेलते हैं। इस दिन लोग चिता की राख और गुलाल एक दूसरे पर अर्पित कर सुख, समृद्धि, वैभव संग शिव का आशीर्वाद पाते हैं।