अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सत्ता संभालते ही कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं, जो न केवल अमेरिका बल्कि दुनिया भर पर असर डालने वाले हैं। उनके इन फैसलों से भारत समेत कई देशों पर असर पड़ सकता है। आइए जानते हैं उन फैसलों के बारे में जो ग्लोबल स्तर पर चर्चा का विषय बने हैं:
WHO से अमेरिका की वापसी
डोनाल्ड ट्रंप ने अपने पहले दिन से ही अमेरिकी नीतियों में बदलाव की शुरुआत की और सबसे पहला बड़ा कदम उठाया। उन्होंने विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) से अमेरिका को बाहर कर दिया। ट्रंप का कहना है कि WHO ने कोरोना महामारी के शुरुआती चरणों में चीन के प्रभाव में काम किया और इसे ठीक से हैंडल नहीं किया। WHO के साथ अमेरिका के रिश्ते कमजोर होने से भारत पर भी असर पड़ सकता है, क्योंकि WHO भारत में कई स्वास्थ्य मिशनों पर काम करता है और गरीब परिवारों की मदद करता है।
जलवायु परिवर्तन के खिलाफ एक कदम पीछे
पेरिस एग्रीमेंट को लेकर ट्रंप का रुख साफ है। उनके सत्ता संभालते ही व्हाइट हाउस ने यह घोषणा की कि अमेरिका एक बार फिर जलवायु परिवर्तन के पेरिस समझौते से बाहर हो रहा है। यह कदम अमेरिका के द्वारा फोसिल फ्यूल के प्रोत्साहन को बढ़ावा देने की दिशा में उठाया गया है। इससे ना केवल वैश्विक जलवायु परिवर्तन के प्रयासों को कमजोर किया जाएगा, बल्कि भारत जैसे देशों को भी अपने ग्रीन एनर्जी के लक्ष्यों को पूरा करने में कठिनाई हो सकती है।
प्रवासियों को लेकर कड़ा रुख
डोनाल्ड ट्रंप ने प्रवासी नीतियों को लेकर भी सख्त रुख अपनाया है। अमेरिका में अवैध प्रवासियों पर प्रतिबंध लगाने के साथ-साथ ट्रंप ने जन्मजात नागरिकता (Birthright Citizenship) को खत्म करने की घोषणा की है। यह फैसला उन भारतीयों के लिए चिंता का विषय बन सकता है, जो रोजगार या शिक्षा के लिए अमेरिका जाने का सपना देखते हैं। हालांकि, ट्रंप ने यह भी कहा कि उन्हें कानूनी तरीके से आने वाले प्रवासियों से कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन उनका यह रुख भारतीय युवाओं के लिए एक बड़ा झटका हो सकता है।
चीन से रिश्ते
हालांकि अमेरिका और चीन के बीच कई विवाद हैं, फिर भी ट्रंप ने चीन के राष्ट्रपति को अपने शपथ ग्रहण समारोह में निमंत्रण भेजा है। साथ ही, चीन की प्रमुख कंपनी TikTok के मालिक भी समारोह में शामिल हुए। यह संकेत देता है कि ट्रंप चीन के साथ अपने रिश्ते सुधारने की दिशा में कदम बढ़ा सकते हैं। इस कदम से अमेरिका और चीन के रिश्तों में सुधार हो सकता है, लेकिन इससे भारत के लिए चिंता बढ़ सकती है, क्योंकि एशिया में दोनों देशों के बीच प्रतिद्वंद्विता बढ़ सकती है।