इंदौर। इंदौर संभाग के खरगोन जिले में देवी अहिल्याबाई होलकर के शासनकाल में बनाए शिवालयों व बावड़ियों का धीरे धीरे पुराना वैभव लौट रहा है। सामाजिक व धार्मिक बदलाव भी आ रहा है। जिला मुख्यालय खरगोन से 42 किलोमीटर दूर कसरावद तहसील के मेजमपुरा गांव में होलकर कालीन शिवालय व कालीबावड़ी के मनरेगा में 1.56 लाख रूपये लागत से सुंदरीकरण के बाद पिकनिक स्पॉट के रूप में निखर गई। सालभर पहले तक यहां जाने से डर लगता था। गाद निकल जाने से बावड़ी का जल निर्मल हो गया है। यहां के जल से श्रद्धालु श्रावण मास में शिवालय में जलाभिषेक कर रहे है। इस सोमवार को पहली बार समिति व ग्रामीणों ने धूमधाम से शिव डोला निकाला। धर्म पता गांव के साथ शिव डोले में तिरंगा भी लहराया। पूर्व सरपंच कमलेश पटेल बताते हैं कई सालों से मेजमपुरा की ऐतिहासिक काली बावड़ी खंडहर थी। गाद भरने से उसका पानी अनुपयोगी था। लोग जाने से डरते थे। अब यहां का धार्मिक महत्व बढ़ गया है। बावड़ी समिति सदस्य अशोक मेढा ने बताया शिवालय और बावड़ी के शुद्धिकरण के बाद शिव डोला निकालने का निर्णय लिया। इसमें गांव व आसपास के शिवभक्त शामिल हुए। कलेक्टर शिवराज सिंह वर्मा के निर्देशन में जिला पंचायत सीईओ ज्योति शर्मा ने इस कार्य को अपने कंधों पर लिया और आज ऐसी स्थिति निर्मित हुई है।
पिकनिक स्पॉट बन गई है कालीबावड़ी
सुबह शाम बोल बम के जयकारे गूंज रहे हैं। आसपास सरोवर व 500 से ज्यादा पौधों का बगीचा तैयार किया गया है। बावड़ियां पिकनिक स्पॉट बन रही है। यहां प्राकृतिक माहौल तैयार होने से लोगों की रूचि बढ़ गई। रखरखाव के लिए प्रशासन ने सरपंच, सचिव व ग्रामीणों की समिति बनाई है।
होलकर सैनिकों के आवागमन का था पड़ाव
पूर्व सरपंच बताते हैं बुजुर्गों से सुनते चले आ रहे हैं कि यह जगह होलकर काल में अहिल्याबाई होलकर के सैनिकों के आवागमन का पड़ाव रहा है। यहां से सैनिकों का दल खानदेश व मालवा के अधीनस्थ राज्यों की तरफ जाता था। तीन चार दशक पहले तक आसपास के खेतों में जुताई के समय आवास संबंधी प्रमाण भी मिले थे। मेजमपुरा में काले पत्थर से निर्माण होने से इसे काली बावड़ी नाम से जाना जाता है। इस क्षेत्र में ऐतिहासिक पांच बावड़ियां है। एक सफेद बावड़ी भी है।
समितियों ने की सामाजिक व धार्मिक उत्सव की तैयारी
खरगोन जिले में 6 माह पहले पुरानी बावड़ियों के जीर्णोद्धार की मुहिम शुरू हुई। जिला प्रशासन ने मनरेगा व जनभागीदारी सहित अन्य मद में 55 बावड़ियों का 122.31 लाख रूपये लागत से जीर्णोद्धार व सुंदरीकरण किया। 45 का काम पूरा हो गया है। उनके रखरखाव के लिए सरपंच सचिव व सक्रिय लोगों की एक समिति बनाई गई है। यह सामाजिक व धार्मिक उत्सव की रूपरेखा बना रही हैं।
महेश्वर में है अहिल्या काल की 16 से ज्यादा बावड़ियां
शिव उपासक अहिल्याबाई होलकर ने देशभर में शिवालय व बावड़ियां बनवाए। उन्होंने महेश्वर को होलकर वंश की राजधानी बनाया था। इस क्षेत्र में 16 से ज्यादा बावड़ियों का 25.68 लाख रूपये लागत से काम चल रहा है। बागदरा, कोगावा, केरियाखेड़ी, मोहद, लाडवी की बावड़ियों का सौंदर्यीकरण का काम पूरा हो चुका है।
सीईओ ने आयोजन को लेकर कहा
जिला पंचायत सीईओ ज्योति शर्मा ने बताया कि मनरेगा से इन बावड़ियों को संवारने के प्रयास सार्थक हुए। जैसे मेजमपुरा के गांवो के नागरिकों ने संस्कृति को बढ़ावा दिया। लग रहा है कि हम संरक्षण करने में सफल हुए।