MP News: मध्यप्रदेश के भिंड जिले की मौ तहसील की तहसीलदार माला शर्मा ने एसडीएम और कलेक्टर पर गंभीर आरोप लगाए हैं। इस संदर्भ में एक ऑडियो क्लिप सोशल मीडिया पर वायरल हुआ है, हालांकि इसकी पुष्टि नहीं की गई है। माला शर्मा को कुछ महीने पहले मनमाने तरीके से गोहद अटैच किया गया था, जिसके खिलाफ उन्होंने उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी।
न्यायालय का स्थगन आदेश
उच्च न्यायालय ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद माला शर्मा को स्थगन आदेश जारी किया। इस आदेश से कलेक्टर संजीव श्रीवास्तव की नाराजगी स्पष्ट थी, और उन्होंने तुरंत माला शर्मा को लगभग एक दर्जन नोटिस जारी कर दिए।
बाढ़ निरीक्षण के दौरान घटनाक्रम
हाल ही में, कलेक्टर संजीव श्रीवास्तव ने अतिवर्षा के कारण आई बाढ़ का निरीक्षण किया। इस दौरान तहसीलदार माला शर्मा और एसडीएम पराग जैन मौजूद थे। फिर भी, कलेक्टर ने लहार तहसीलदार उदय सिंह जाटव को मौ तहसीलदार का प्रभार सौंप दिया, जो कि विवादास्पद निर्णय था। इसके अलावा, कलेक्टर और एसडीएम ने बिना किसी आदेश के उदय सिंह जाटव की मौ तहसीलदार की आईडी भी बना दी।
न्यायालय का आदेश और सरकारी अधिकारियों का आचरण
इस घटना से यह सवाल उठता है कि क्या न्यायालय के आदेशों का सरकारी अधिकारियों पर कोई असर नहीं होता। कलेक्टर संजीव श्रीवास्तव अपने कार्यों के लिए अक्सर चर्चा में रहते हैं। इससे पहले भी उनके स्टेनो का अटैचमेंट और महिला बाल विकास विभाग में समूहों का अनुबंध रद्द करना और फिर से बहाल करना जैसे मामले सामने आ चुके हैं।
तहसीलदार उदय सिंह जाटव का पक्ष
जब इस मामले में तहसीलदार उदय सिंह जाटव का पक्ष जानने की कोशिश की गई, तो उन्होंने सवाल सुनते ही फोन काट दिया। यह इस बात को दर्शाता है कि इस विवादित स्थिति में संबंधित अधिकारियों की ओर से कोई स्पष्टता नहीं दी जा रही है।
इस पूरे मामले ने मध्यप्रदेश में प्रशासनिक व्यवस्था और न्यायालय के आदेशों की वैधता पर सवाल खड़ा कर दिया है।