एमपी हाउसिंग बोर्ड ने बदला नियम, अब लॉटरी नहीं बल्कि ई-नीलामी से खरीद सकेंगे मकान, प्लॉट और दुकानें

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By Raj RathorePublished On: September 19, 2025

मध्यप्रदेश हाउसिंग बोर्ड ने अब अपनी संपत्तियों को बेचने का तरीका बदल दिया है। पहले जहां प्लॉट, मकान और दुकानें लॉटरी के जरिए बेची जाती थीं, वहीं अब इन्हें ई-नीलामी प्रणाली से बेचा जाएगा। इस बदलाव के तहत अब किसी प्रॉपर्टी की पहले से तय कीमत नहीं होगी, बल्कि ऑनलाइन नीलामी में जो खरीदार सबसे ऊंची बोली लगाएगा, वही उस संपत्ति का मालिक बनेगा। शुरुआती दौर में यह प्रक्रिया भोपाल, इंदौर, ग्वालियर और जबलपुर की प्राइम लोकेशन पर स्थित संपत्तियों पर लागू की जा रही है, और धीरे-धीरे इसे प्रदेश की अन्य परियोजनाओं तक बढ़ाया जाएगा।

ई-नीलामी पोर्टल पर होगी पूरी प्रक्रिया

नई व्यवस्था के लिए हाउसिंग बोर्ड ने एक विशेष ई-नीलामी पोर्टल तैयार किया है। इस पोर्टल पर बोर्ड अपनी उपलब्ध संपत्तियों की पूरी जानकारी साझा करेगा, जिसमें लोकेशन, सुविधाएं और न्यूनतम बेस प्राइस शामिल होंगे। साथ ही बोली लगाने की तय तारीख भी वहां पर दर्ज होगी। इच्छुक लोग इस पोर्टल पर अपना पंजीयन कराकर ऑनलाइन बोली में भाग ले सकते हैं। तय तिथि पर नीलामी की शुरुआत होगी और बोली लगाने की प्रक्रिया पूरी तरह डिजिटल होगी। नीलामी के अंत में सबसे ज्यादा बोली लगाने वाले आवेदक को संपत्ति आवंटित कर दी जाएगी।

पारदर्शिता और खरीदारों का भरोसा बढ़ेगा

इस नई प्रणाली से आम लोगों को फायदा यह होगा कि वे किसी भी प्रॉपर्टी को खुले बाजार की तरह खरीद सकेंगे। पहले जहां लॉटरी के जरिए किसे संपत्ति मिलेगी, यह अनिश्चित होता था, वहीं अब बोली लगाकर हर व्यक्ति अपने बजट और रुचि के हिसाब से हिस्सा ले सकता है। प्रक्रिया पूरी तरह ऑनलाइन और पारदर्शी होने से खरीदारों का भरोसा भी बढ़ेगा। साथ ही, रेरा की निगरानी में प्रोजेक्ट समय पर पूरे होंगे और खरीदारों को तय अवधि में पजेशन भी मिल जाएगा।

बोर्ड को मिलेगा सही बाजार मूल्य

इस प्रणाली से केवल खरीदार ही नहीं, बल्कि हाउसिंग बोर्ड को भी बड़ा लाभ होगा। अब तक कई बार यह देखा जाता था कि संपत्तियां तय दाम पर बिकने के कारण बोर्ड को बाजार मूल्य के हिसाब से उचित राशि नहीं मिल पाती थी। ई-नीलामी में प्रतियोगिता बढ़ने से संपत्तियों का वास्तविक और उचित मूल्य बोर्ड तक पहुंचेगा। इससे बोर्ड की आर्थिक स्थिति मजबूत होगी और नए प्रोजेक्ट शुरू करने में भी आसानी होगी।

रेरा के नियमों का पालन अनिवार्य

नई प्रक्रिया के तहत हाउसिंग बोर्ड को यह भी सुनिश्चित करना होगा कि परियोजनाओं को समय पर पूरा किया जाए। बोर्ड को रेरा (रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी) को हर प्रोजेक्ट की पजेशन टाइमलाइन बतानी होगी और उसी सीमा के भीतर खरीदारों को मकान, प्लॉट या दुकानें सौंपनी होंगी। इससे न केवल खरीदारों को निश्चित समय पर संपत्ति मिलेगी, बल्कि अनावश्यक देरी की समस्या भी खत्म होगी।