हम जब भी किसी शहर में कनेक्टिविटी या मोबिलिटी की बात करते है तो उसका मूल सिद्धांत है की वह सभी जगहों को आपस में जोड़े जिससे उस शहर की जनता को आवागमन में सुविधा हो और समय बचे साथ ही वह कॉस्ट इफेक्टिव और सस्टेनेबल भी हो मेट्रो लॉन्ग टर्म में शहर को कनेक्ट करने का एक सस्टेनेबल ऑप्शन है। मगर अगर इसका सही रूप से क्रियान्वन नहीं किया गया तो वह शहर के लिए एक बहुत बड़ा कंक्रीट का जन्जाल बनकर रह जाएंगे। इसी लिए शहर के सभी क्षेत्रो को आपस में जोड़ना बहुत जरुरी है जिससे शहर के रोड पे ट्रैफिक दवाव बहुत कम होगा और लोग अपने वाहन की जगह पब्लिक ट्रांसपोर्ट का उपयोग करेंगे।
इंदौर शहर हर दिशा में तेज़ी से बड़ रहा है हमे इन सभी दिशाओ में मेट्रो का जाल बिछाना होगा तभी मेट्रो एक सफल पब्लिक ट्रांसपोर्ट की तरह इंदौर शहर में उपयोग में आएंगी। इसी क्रम में हमे शहर को रिंग रोड का लूप हमे पूरा करना होगा चाहे वो रिंग रोड को पूरा करना हो या मेट्रो का जाल वह तक पहुंचना। इसके साथ अगर हम इस लूप को शहर के सेंटर पार्ट से जोड़ेंगे तभी पूरा शहर आपस में कनेक्ट हो पाएंगे।
इसी लिए शहर मध्य क्षेत्र राजवाड़ा, बड़ा गणपति , रीगल माय हॉस्पिटल और शिवजी वाटिका होते हुवे पिपलियानां तक कनेक्ट करने से मध्य क्षेत्र का एक हिस्सा पूरी तरह जुड़ जाएंगे वही गाँधी हॉल से होते हुवे अगर अरविंदो रोड तक मेट्रो को जोड़ा जाये तो वह भी एक बड़े हिस्से को मैं लाइन से जोड़ेंगे।
जब शहर के मध्य और बाहरी क्षेत्र आपस मे जुड़ जायेंगे तब इन सभी को आप पास के टाउन से जोड़ना होगा जैसे राजीवगाँधी चौराहे से राउ होते हुवे महू को जोड़ना वही चन्दन नगर से बेटमा तक जोड़ना उसी क्रम में विजय नगर से मंगलिया होते हुवे देवास तक ले जाना और अरविंदो हॉस्पिटल से सांवेर होते हुवे उज्जैन तक तभी शहर को मेट्रो का पूरा फायदा मिलेंगे और ये एक सफल पब्लिक ट्रांसपोर्ट के एक्साम्पल होगा।
हमे आज होने वाले 2-3 साल के तकलीफ को नज़र अंदाज़ करते हुवे आने वाले शहर के लिए सोचने होगा और बेहतर कल के लिए शहर हितो में सही निर्णय लेना होगा तभी हम एक बेहतर शहर आने वही पीढयों को दे पाएंगे वरना ये योजना सिर्फ कंक्रीट का एक ढांचा बनके रह जाएगा।