ऑनलाइन के बढ़ते हुए चलन से व्यापारियों की खुशियों में नजर लग गयी है। बीते कुछ महीनो से कोरोना महामारी के कारण सबका व्यवसाय बंद हुआ था जिसके चलते छोटे व्यपारियो के काम धंदे मंदी के चपेट में आ गए थे। अब दिवाली पर बम्पर व्यापार की आस लगये व्यपारियो को ऑनलाइन सेल के चलतेदोहरी मार झेलना पड़ रहा है। एक तरफ ऑनलाइन शॉपिंग वाले लाखो का व्यपार कर रहे है तो वहीँ दूसरी ओर दुकानदारों का धंदा चौपट हो गया है। लोगऑफर्स और भारी भरकम डिस्काउंट के चक्कर में तेजी से ऑनलाइन सामान बुलवा रहे है। ऑनलाइन शॉपिंग के कारण दुकानदारी काम होती जा रही है जिस के कारण दुकानदारों के त्यौहार फीके होते जा रहे है।
गौरतलब है की जब देश कोरोना महामारी से लड़ रहा था जब भी छोटे व्यपारियो ने बढ़चढ़ कर अपने लोगो एवं देश की मदत की थी लेकिन आजकल बड़ी और विदेशी कंपनी द्वारा चालाये जाने वाले ऑनलाइन शॉपिंग का जनून लोगो के सिर चढ़ कर बोल रहा है जिसका खामियाजा लोकल स्तर के छोटे व्यापारियों को झेलना पढ़ रहा है।
व्यपारियो पर दोहरी मार
बीते दिनों से कोरोना महामारी के चलते पूरे देश में बंद का एलान हो गया था मगर इसके बाद भी ऑनलाइन शॉपिंग बहुत दिनों तक बिना कोई रोक टोक से चली जिसके चलते व्यापारियों का नुकसान हुआ। उसके बाद जब नवरात्री और दिवाली से व्यपारियो को व्यापार की उम्मीद थी तो अमेज़ॉन और फ्लिपकार्ट कैसी बड़ी कंपनी ने अपनी भारी डिस्काउंट सेल को चलाते हुए सभी व्यापारिओं की उम्मीद पर पानी फिर दिया है।
जानकारी के अनुसार ऐसा पता चला है कि इस आर्थिक मंदी के बावजूद इन दोनों बड़ी कंपनियों ने अपने 4 दिन की सेल में 26,000 करोड़ का व्यापार किया है। जहाँ एक तरफ पीएम मोदी आत्मनिर्भर एवं वोकल फॉर लोकल की बात कर रहे है और वहीँ दूसरी तरफ लोग कुछ ऑफर और डिस्काउंट के लिए छोटे व्यपारियो का गला दबा रहे है।
स्थानीय अर्थव्यवस्था चरमराई
ऑनलाइन खरीदी करने से पैसा आपके गांव या देश में नहीं बल्कि दूसरे देशो में जाता है। इस के कारण देश और व्यापार में मंदी आ रही है। अक्सर यह देखने में आता है कि कपडे का व्यापारी जूते ऑनलाइन बुलवाता है, और जूते का व्यापारी कपडे ऑनलाइन बुलवाता है। और ऐसे में स्थानीय व्यापार काम होते जा रहा है। अगर ऑनलाइन शॉपिंग की मार से बचना है तो यह रोकना होगा और स्थानीय बाजार में जा कर खरीदी करना होगी। ऐसे में ही बाजार का पैसा बाजार में होगा। और सब व्यपारियो का व्यापार होगा।